दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों के ख़िलाफ़ रविवार को हुई पुलिस कार्रवाई को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है.
बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार देश के एक हज़ार से अधिक बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों, अकादमिक शख़्सियतों ने इसे लेकर बयान जारी किया है और रविवार को ‘लोकतंत्र के लिए काला दिन’ बताया है.
दिल्ली में जंतर मंतर पर बीते करीब एक महीने से महिला पहलवान और उनके समर्थक बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ धरना दे रहे हैं.
बयान में बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी, हिरासत में ली गईं महिला पहललवानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की तुरंत रिहाई और नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने के संवैधानिक अधिकार पर हमला बंद करने की मांग की गई है.
बयान जारी करने वालों में हस्ताक्षरकर्ता के रूप में जानी मानी वकील सुधा भारद्वाज, ज़ोया हसन, उत्सा पटनायक, प्रभात पटनायक, जवाहर सरकार, जयति घोष, मल्लिका साराभाई, आनंद पटवर्द्धन समेत कई लोग हैं.
उधर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने भी एक बयान में सभी गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा करने की मांग की है और महिला पहलवानों और प्रदर्शनकारियों पर दिल्ली पुलिस द्वारा बल प्रयोग की तीखी आलोचना की है.
एसकेएम ने चेतावनी दी है कि जब तक यौन उत्पीड़न के दोषियों को गिरफ़्तार और दंडित नहीं किया जाता तब तक संघर्ष को और तेज किया जाएगा.