टीएन नाइनन ने बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखा है कि प्यू रिसर्च ने हमें बताया है कि चुनिंदा देश भारत के बारे में बेहतर सोच रखते हैं लेकिन उनकी राय पहले की तुलना में कमजोर हुई है. नरेंद्र मोदी ने देश में जो लोकप्रियता हासिल की है विदेश में वह आधी रह गयी है. प्यू ने जिन लोगों पर यह सर्वे किया है उनमें से करीब आधे सोचते हैं कि हाल के वर्षों में भारत ने कोई शक्ति या प्रभाव नहीं हासिल किया है. वहीं देश में ऐसा सोचने वाले काफी
न लिखते हैं कि देश में इस बात को लेकर तर्क करना असंभव है कि दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बनने के साथ ही भारत के कद और उसकी हैसियत में इजाफा नहीं हुआ. या फिर चांद पर हमारी पहुंच ने देश की सीमाओं से परे अपनी छाप नहीं छोड़ी अथवा भारत के कुछ कदमों मसलन टीका आपूर्ति या चावल निर्यात पर रोक ने शेष विश्व को अलग-अलग तरह से प्रभावित नहीं किया.
नाइनन लिखते हैं कि अगर शी जिनपिंग जी 20 शिखर बैठक में नहीं आते और ब्लादिमिर पुतिन भी दूर रहते हैं तो इस आयोजन की चमक कुछ हद तक फीकी पड़ जाएगी. यह ऐसा आयोजन है जिसका इस्तेमाल मोदी ने भारत की ब्रांडिंग के लिए किया है.
लेखक का मानना है कि भारत तभी बड़ी शक्ति बन सकता है जब वह आर्थिक मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन करना जारी रखे, एक बड़ा विनिर्माण क्षेत्र तैयार करे, तकनीक में बढ़त हासिल करे, सक्षम रक्षा उद्योग विकसित करे, मानव विकास सूचकांकों पर प्रदर्शन बेहतर करे और अधिक व्यापारिक राष्ट्र बने तथा आंतरिक सामंजस्य बढ़ाए.