नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एनडीटीवी के साथ एक खास इंटरव्यू में कहा कि वह ‘वोट बैंक की राजनीति’ में शामिल नहीं हैं और इसलिए, कांग्रेस के विपरीत, वो राजनीति को मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दों से नहीं जोड़ेंगे.
सरमा ने एनडीटीवी से कहा, “फिलहाल, हमें मुस्लिम वोट नहीं चाहिए. सभी समस्याएं वोट बैंक की राजनीति के कारण होती हैं. मैं हर महीने एक बार मुस्लिम इलाके में जरूर जाता हूं, उनके कार्यक्रमों में शामिल होता हूं और लोगों से मिलता हूं, लेकिन मैं राजनीति को विकास से नहीं जोड़ता हूं. मैं चाहता हूं कि मुसलमानों को एहसास हो कि कांग्रेस के साथ उनका रिश्ता वोटों के बारे में है.”
सीएम सरमा ने कहा, “मुझे वोट मत दीजिए. मुझे अगले 10 सालों में अपने क्षेत्रों का विकास करने दीजिए. मैं ये सुनिश्चित करना चाहता हूं कि बाल विवाह प्रथा समाप्त हो, मदरसों में जाना बंद हो, इसके बजाय कॉलेजों में जाइए. मैं विशेष रूप से मुस्लिम बेटियों के लिए सात कॉलेजों का उद्घाटन करने जा रहा हूं.”
हिमंता बिस्वा सरमा, पूर्वोत्तर राज्य असम में बीजेपी की लगातार दूसरी जीत के बाद 2021 में सर्बानंद सोनोवाल की जगह असम के 15वें मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने बताया कि मुसलमानों के लिए यह समझना क्यों महत्वपूर्ण है कि भाजपा के साथ उनका रिश्ता वोटों से परे है.
मुख्यमंत्री ने कहा, “कांग्रेस ने मुस्लिम इलाकों में बुनियादी स्कूल नहीं बनाए. लेकिन मैं उनका विकास करना चाहता हूं. मैं 10-15 साल तक ऐसा करूंगा, फिर मुसलमानों से वोट मांगूंगा. अगर अभी मैं उनसे वोट मांगूंगा, तो ऐसे लगेगा कि देने और लेने का रिश्ता है, मैं नहीं चाहता कि यह लेन-देन का रिश्ता बने.”
सरमा ने कहा, “मैंने असम के पिछले विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम इलाकों में प्रचार नहीं करने का फैसला किया था. 2016 और 2020 में प्रचार के दौरान मैं मुस्लिम इलाकों में नहीं गया. मैंने कहा था कि मैं चुनाव जीतने के बाद ही जाऊंगा. इस बार भी मैं उनसे कह रहा हूं कि आप जिसे चाहें वोट दें. बीजेपी उनके इलाके में प्रचार नहीं करेगी.”