नई दिल्ली: जाने-माने बुद्धिजीवी नॉम चोमस्की और महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी ने दिल्ली दंगे के अभियुक्त छात्र नेता उमर ख़ालिद को क़ैद में रखे जाने के पर सवाल उठाए हैं और उन्हें तुरंत रिहा करने की मांग की है।
बीबीसी हिंदी के अनुसार उमर ख़ालिद को दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2020 में गिरफ़्तार किया था, इन दोनों बुद्धिजीवियों के अलावा चार संगठनों, हिंदूज़ फ़ॉर ह्यूमन राइट्स, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल, दलित सॉलिडेरिटी फ़ोरम और इंडियन सिविल वाच इंटरनेशनल ने भी उन्हें रिहा करने की मांग की है।
नॉम चोमस्की ने कहा कि भेदभाव भरे नागरिकता कानून सीएए और एनआरसी के खिलाफ आवाज उठाने वाले उमर के ख़िलाफ़ आतंकवाद और दंगे भड़काने का आरोप लगाया है, निरर्थक आरोपों के बावजूद उन्हें लंबे समय तक जेल में बंद रखा गया है।
नॉम चोमस्की ने कहा कि उमर ख़ालिद को पिछले एक साल से जेल में बंद रखा गया है. उन्हें जमानत नहीं दी जा रही है. उनके खिलाफ सिर्फ एक मात्र ‘मजबूत’ आरोप ये है कि वे बोलने और विरोध करने के अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे, किसी भी आजाद समाज के लिए ये नागरिकों का बुनियादी विशेषाधिकार है।
चोमस्की ने कहा कि मैं इतनी दूर से घटनाओं और आरोपों का मूल्यांकन तो नहीं कर सकता हूं लेकिन इनमें से कई घटनाओं ने भारत में न्याय व्यवस्था का खराब चेहरा पेश किया है, इस दौरान दमन और अक्सर हिंसा की घटनाओं ने साफ तौर पर भारतीय संस्थानों और भारतीय नागरिकों के अधिकारों के इस्तेमाल में बाधा डाली है, यह भारत में धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने और हिंदू जातीयता को थोपने की कोशिश लगती है।