Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

मुसलमान सामाजिक सुधारों की खुद पहल करें

RK News by RK News
December 8, 2022
Reading Time: 1 min read
0
मुसलमान सामाजिक सुधारों की खुद पहल करें

शकील अख़्तर

RELATED POSTS

ग़ज़ा में लोग चलती-फिरती लाशें बन गए हैं’, पत्रकारों की आपबीती

राहुल क्या हिंदुत्व के समानांतर कांग्रेस की नई विचारधारा खड़ी कर पाएंगे?

महाराष्ट्र भाषा विवादः हिंदुत्ववादी राजनीति का हथियार है हिंदी

वक्त के मुताबिक मुसलमानों को सोचना चाहिए कि उन्हें आज सबसे ज्यादा जरूरत किस चीज की है। भाजपा उन्हें चारों तरफ से घेर रही है। वह अपने एजेंडे पर कायम रहेगी।

मुसलमान उसमें कुछ नहीं कर सकता। अगर कर सकता है तो बस इतना कि वक्त को समझे और उसके मुताबिक अपनी सोच बनाए। जैसे केन्द्र सरकार ने तीन तलाक खत्म कर दिया। अच्छा है। हमारे मौलाना अब कहने लगे कि कभी चलन में था ही नहीं। धर्म का हिस्सा भी नहीं है।

भारतीय मुसलमानों के लिए यह सोचने का समय है। जिस वक्त दुनिया के सबसे कट्टर देश ईरान में हिजाब के खिलाफ एक लंबा सफल आंदोलन हुआ उस वक्त हमारे यहां कुछ लोग हिजाब की अनिवार्यता के लिए लड़ रहे थे। और उनमें से एक बार बार मामले के गर्म करने के लिए हिजाबी प्रधानमंत्री बनेगी जैसी बेमतलब बयानबाजी कर रहे थे।

उनका उद्देश्य था इसके बहाने हिन्दुओं को संदेश देना कि एक दिन न केवल मुसलमान प्रधानमंत्री होगा बल्कि वह एक पारंपरिक धार्मिक स्त्री होगी। जाहिर है यह भाजपा के पक्ष में जाने वाला संदेश है। और भाजपा इसका पूरा फायदा उठा भी रही है। उसका एक मात्र गेम हिन्दु-मुस्लिम है। और ओवेसी के इन बयानों से उसे हिन्दुओं के ध्रुवीकरण में मदद मिलती है।

भाजपा के बाहर से मददगार देश भर में हर जगह जा जाकर चुनाव लड़ रहे असदउद्दीन ओवेसी ही नहीं हैं बल्कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविध्यालय (एएमयू) के वीसी डॉ. तारिक मंसूर जैसे लोग भी हैं। जिनका ध्यान विश्वविध्यालय की हालत सुधारने में नहीं बल्कि अखबारों में लेख लिखकर मुसलमानों से बीजेपी के पक्ष में अपील करने पर है। अखबारों में लिखे अपने लेख में उन्होंने भाजपा द्वारा पसमांदा मुसलमानों के लिए किए जाने कामों को गिनवाया है।

मगर यह भूल गए कि पसमांदा मुसलमानों को आगे बढ़ाने में अगर देश के किसी एक संस्थान का सबसे ज्यादा हाथ रहा है तो वह एएमयू है। जहां के वे वीसी हैं। पसमांदा मुसलमानों ने सबसे ज्यादा उच्च शिक्षा एएमएयू से ही हासिल की है। और उसकी वजह है उसका रेजिडेन्शियल यूनिवर्सीटी होना। गरीब पसमांदा मुसलमान ही नहीं दूसरे धर्मों के पिछड़े इलाकों के लड़के लड़कियों ने भी यहां कम खर्चें पर उच्च शिक्षा प्राप्त की है। उसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है। मगर फिलहाल तारिक मंसूर अपना कार्यकाल और बढ़ाने के लिए मोदीजी की तारीफों के पुल बांधने में लगे हुए हैं। उनका पांच साल का विवादों से घिरा  कार्यकाल पूरा हो चुका है। एक साल का एक एक्सटेंशन वे ले चुके हैं। और एक और एक्सटेंशन के लिए वे मुसलमानों को भाजपा में भेजने के लिए जुटे हुए हैं।

भारत के सभी समुदायों में अभी भी सबसे ज्यादा जज्बाती और राजनीतिक बुद्धि का इस्तेमाल न करने वाला तबका मुसलमान ही है। सच्चर कमेटी के रिपोर्ट में मुसलमानों के लिए लिखा था कि दलितों से बुरी हालत! शिक्षा, नौकरी, सामाजिक सुधार और पोलिटिकल सेंस ( राजनीतिक समझ) न होना। और जज्बात में सबसे जल्दी बहना।

मुसलमानों के नेता चाहे वे राजनीतिक हों, धार्मिक हों या सामाजिक अगर चाहते तो इस जज्बाती कमजोरी का भी फायदा उठाकर अपने लोगों को शिक्षा की तरफ मोड़ देते। तालीम की जज्बात की हवा बहा देते। मगर राजनीतिक नेताओं ने केवल वोट के लिए उनकी भावनाओं का इस्तेमाल किया, धार्मिक नेताओं ने अपने अपने फिरके ( पंथ) को मजबूत करने के लिए और सामाजिक नेताओं ने खुद के निहित स्वार्थ के लिए।

उच्च शिक्षा, उच्च पदों पर मुसलमान की संख्या लगातार गिरती जा रही है। राजनीति में भी कोई बड़ा मुस्लिम नेता नहीं रहा है। कांग्रेस में नंबर एक के नेताओं में कोई नहीं है। अहमद पटेल के न रहने और गुलामनबी आजाद के पार्टी छोड़ जाने के बाद ऊपर की नेतृत्व पंक्ति मुसलमानों से पूरी तरह खाली है। यह पहला मौका है जब कांग्रेस में कोई टाप के नेता नहीं बचा। यह मुसलमानों के लिए तो नुकसानदेह है ही कांग्रेस के लिए भी है।

कांग्रेस ने भी बाहर से आदमी लाकर मुसलमानों का कोटा भरा। हामिद अंसारी को एक बार नहीं दो-दो बार उप राष्ट्रपति बनाया गया। अभी कोई पूछ रहा था कि कि क्या अंसारी यात्रा में गए? हमने कहा यह सवाल पत्रकारों से नहीं खुद अंसारी या कांग्रेस से पूछना चाहिए। आज भाजपा को किसी गांव में भी दलित मार्च की जरूरत पड़ जाए और वह चाहे तो निवर्तमान राष्ट्रपति कोंविद एक मिनट के नोटिस पर वहां आ जाएंगे। आखिर बीजेपी ने कांग्रेस के राष्ट्रपति को भी नागपुर बुला ही लिया था। प्रणव मुखर्जी सिर झुका कर गए और वहां सिर नवा कर आ गए।

खैर तो मुस्लिम नेतृत्व कांग्रेस के पास नहीं है। भाजपा को जरूरत ही नहीं है। एक मुख्तार अब्बास नकवी नाम मात्र के थे तो उन्हें भी हटा दिया। जबकि भाजपा के लिए उनकी सेवाएं भाजपा के किसी भी नेता से कम नहीं थीं। सपा और आरजेडी में भी कोई नहीं बचा है। मुस्लिम नेतृत्व राजनीति से पूरी तरह गायब है।

बस कुछ पुराने बुद्धिजीवी बचे हैं तो उनकी बात भी एएमयू जैसे संस्थान भी बाहर नहीं आने देते। पिछले दिनों वहां एक कार्यक्रम में प्रसिद्ध  इतिहासकर इरफान हबीब का एक भाषण हुआ। यूनिवर्सिटी ने उसकी खबर रोक दी। इरफान हबीब दक्षिणपंथियों के निशाने पर तो हमेशा से रहे अभी केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने तो उन्हें गुंडा तक कह दिया और अब खुद वह यूनिवर्सिटी जिसका नाम उन्होंने अपने ऐतिहासिक शोधों से दुनिया भर में रोशन किया वह उनके भाषण से घबरा रही है। उसकी खबर बाहर जाने से रोक रही है।

वक्त के मुताबिक मुसलमानों को सोचना चाहिए कि उन्हें आज सबसे ज्यादा जरूरत किस चीज की है। भाजपा उन्हें चारों तरफ से घेर रही है। वह अपने एजेंडे पर कायम रहेगी। मुसलमान उसमें कुछ नहीं कर सकता। अगर कर सकता है तो बस इतना कि वक्त को समझे और उसके मुताबिक अपनी सोच बनाए। जैसे केन्द्र सरकार ने तीन तलाक खत्म कर दिया। अच्छा है। हमारे मौलाना अब कहने लगे कि कभी चलन में था ही नहीं। धर्म का हिस्सा भी नहीं है। सही है। मगर यही बात उन्हें पहले बोलना थी। कानून बना। जितनी बदनामी कर सकते थे की। और आज सब उस कानून को मान रहे हैं।

सामाजिक सुधार और किसे कहते हैं? इसे ही कहते हैं। समय के अनुरूप खुद ही करना चाहिए। राजनीतिक रूप से पिछड़े समुदाय पहले अड़ जाते हैं फिर जब कानून बन जाता है, समाज की छवि को नुकसान पहुंच जाता है। तब मानते हैं। हिजाब में भी यही हुआ। बेवजह मामले को घसीटा। अगर धर्म का हिस्सा है तो ईरान जो पहला देश है जहां इस्लामिक क्रान्ति हुई है वहां की धार्मिक सरकार कैसे मान जाती?

मुसलमानों में कई प्रथाएं हैं ही नहीं। मगर उसका शोर है। और सही यह है कि भाजपा और आरएसएस तो करती ही है खुद मुसलमानों के मुल्ला मौलवी भी कम नहीं करते। चार शादी कहीं नहीं होती। मगर भाजपा आरएसएस का प्रचार है। और दूसरी तरफ आप किसी मौलाना से पूछ लो तो वह नहीं कहेगा कि नहीं कहीं नहीं होतीं। नहीं करना चाहिए। धीरे से कहेगा कर तो सकते हैं। उनसे पूछिए कि आपने की। तो कहेंगे नहीं हमने तो नहीं की।

अभी भाजपा समान नागरिक संहिता के मुद्दे को उठाए हुए हैं। 2024 के चुनाव के पहले तक इसे खूब गर्म रखा जाएगा। मुसलमानों की धार्मिक संस्थाओं को चाहिए खुद पहल करके इस पर बात करें। रेत में सिर छुपाने से कुछ नहीं होगा। भाजपा करेगी। जैसे तीन तलाक किया।

मुसलमानों को यह समझना होगा कि उसके उद्देश्य शुद्ध राजनीतिक हैं। उसे किसी से कुछ लेना देना नहीं है। इसे केवल वोट चाहिए। जैसे मिलेंगे वह लेगी। ऐसे में मुसलमानों को अपनी समस्याओं को खुद दूर करने में अक्ल लगाना चाहिए।

भाजपा के कामों पर प्रतिक्रियावादी होने से कोई फायदा नहीं है। इसका उसे लाभ मिलता है। खुद समझना चाहिए कि हमारे फायदे में क्या है। और बच्चों के भविष्य के लिए क्या किया जाना चाहिए। आधुनिक शिक्षा का नया आंदोलन शुरू करना पड़ेगा। सौ साल ज्यादा समय पहले जिसे सर सैयद ने किया था।

जिसकी बदौलत तारिक मंसूर जैसे लोग वीसी बने बैठे हैं। मगर शिक्षा के लिए काम करने के बदले भाजपा की वोट की राजनीति के लिए कर रहे हैं। ऐसे लोगों से शिक्षा के माध्यम से ही लड़ा जा सकता है। उसे ही आगे बढ़ाना होगा। समाज में तारिक मंसूर, आरिफ मोहम्मद खान और ओवेसी जैसे लोग कई पैदा होंगे। मगर उनके मुकाबले के लिए आधुनिक शिक्षा के जरिए नए युवा पैदा करना होंगे। जो तरक्कीपसंद, रोशन ख्यालों के हों।

 

 

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

ग़ज़ा में लोग चलती-फिरती लाशें बन गए हैं’, पत्रकारों की आपबीती

July 27, 2025
विचार

राहुल क्या हिंदुत्व के समानांतर कांग्रेस की नई विचारधारा खड़ी कर पाएंगे?

July 25, 2025
Uncategorized

महाराष्ट्र भाषा विवादः हिंदुत्ववादी राजनीति का हथियार है हिंदी

July 14, 2025
विचार

फिलीस्तीन पर अवसरवाद  :-मनोज झा

June 30, 2025
विचार

अहमदाबाद: एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो कर, दो टुकड़ों में टूटा,242 यात्रियों में53 ब्रिटिश,

June 12, 2025
विचार

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

May 15, 2025
Next Post
तमिलनाडु: पोस्टर में भगवा रंग में रंगे डॉ. अंबेडकर

तमिलनाडु: पोस्टर में भगवा रंग में रंगे डॉ. अंबेडकर

जनता परिवार को एक करने में लगे केसी त्यागी

जनता परिवार को एक करने में लगे केसी त्यागी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

PM मोदी की डिग्री दिखाने की जरुरत नहीं, केजरीवाल पर जुर्माना- गुजरात HC

March 31, 2023

अजमेर दरगाह को संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए… हिंदू सेना की माँग’ खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

September 24, 2024

जमीअत उलमा-ए-हिंद का प्रतिनिधिमंडल ग्वालपारा जिले के प्रभावित इलाकों के दौरे पर, असम सरकार को ज्ञापन, मुआवजे और पुनर्वास की मांग

July 15, 2025

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • मालेगांव ब्लास्ट: जांच एजेंसियां लगातार विफल हो रही हैं,उनको भंग कर देना चाहिए:जमीअत उलमा-ए-हिंद
  • Up, Bulan Shahar: इंस्पेक्टर सुबोध हत्याकांड में 38 दोषी, जानें अख़लाक केस से संबंध
  • मालेगांव ब्लास्टः पीड़ितों का दर्द ,17साल बाद भी इन्साफ नहीं मिला,भरोसा टूटा, पर हिम्मत नहीं हारी, suprem court जाएंगे

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi