उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण नीति की घोषणा कर दी है। मुस्लिम समुदाय में इस जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बेहद सधी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा है कि यह कानून एक सियासी खेल है और मुसलमान इसमें नहीं फंसेगा।
शाही इमाम ने अमर उजाला से बात चीत करते हुए कहा कि यह कानून बहुसंख्यक वर्ग को लामबंद करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। वे इसका न तो विरोध करेंगे और न ही इसका स्वागत करेंगे। लेकिन अगर पूरे देश के लिए एक समान कानून लाया जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह सबके लिए एक जैसा होगा।
उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने से जमीन पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देना ज्यादा कारगर कदम साबित होता। अगर दूसरे कानूनों की तरह इस कानून के बनने के बाद भी इसका पालन नहीं हुआ तो फिर इसका कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती अतीक बस्तावी का कहना है कि बोर्ड जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बारीकी से नजर रख रहा है। कानून का अंतिम प्रारूप सामने आने के बाद वह इसका अध्ययन कर इस पर अपनी रणनीति बनाएगा। इसके लिए बोर्ड की बैठक में उचित निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में यह बात देखी गई है कि जहां भी शिक्षा ज्यादा हुई है वहां पर लोग खुद ही कम बच्चे पैदा करने लगते हैं। इसके लिए उनके साथ कोई जोर-जबरदस्ती नहीं करनी पड़ती है। ऐसे में सरकार को कानून का डंडा चलाने से स्थान पर शिक्षा बढ़ाने की ओर गंभीरता के साथ काम करना चाहिए।
उधर, जमील अंजुम देहलवी, जनरल सेक्रेटरी, अंजुमन मोहब्बताने वतन ने कहा है कि वे इस कानून का कड़ा विरोध करते हैं। इससे समाज के एक वर्ग को दूसरे से बांटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को जबरदस्ती बच्चे पैदा करने से रोकने की बजाय शिक्षा के प्रसार पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
अंजुम देहलवी ने कहा कि इस्लाम में जनसंख्या नियंत्रण पर स्पष्ट राय दी गई है कि अगर पति-पत्नी दोनों सहमति से बच्चा पैदा न करने की बात पर राजी हैं तो बच्चा न पैदा करने पर कोई रोक नहीं है। लेकिन, अगर पति या पत्नी में से कोई एक भी बच्चा पैदा करना चाहता है तो दूसरा पार्टनर उसे इससे रोक नहीं सकता।
अंजुम देहलवी ने आगे कहा कि जैद अबुल फजल फारूकी की पुस्तक ‘इस्लाम एंड फैमिली प्लानिंग’ में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि जनसंख्या नियंत्रण में इस्लाम कोई बाधा नहीं बनता है, लेकिन जरूरी है कि इसके लिए उचित तरीके अपनाए जाएं। इसके लिए पति और पत्नी, दोनों का सहमत होना भी जरूरी है।