लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा की तैयारी तो जोरशोर से जारी है लेकिन इंडिया गठबंधन भी पीछे नहीं है। अभी तक उसकी चार बैठकें हो चुकी हैं, उसमें पिछली दो बैठकों में लगातार 28 दल जुटे हैं। सभी मिलकर चुनाव लड़ने पर राजी हैं। हालांकि भाजपा हाल ही में तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव जीतकर खासी उत्साहित है। जबकि इंडिया गठबंधन को सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करना है।
इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक इस बार दिल्ली में हुई। बैठक से पहले ही जेडीयू ने अपने नेता नीतीश कुमार को इंडिया का संयोजक और पीएम फेस बनाने की मुहिम शुरू कर दी। इस पर टीएमसी नेता और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने 19 दिसंबर की सुबह पहले तो यह बयान दिया कि पीएम चेहरे का फैसला लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद होगा। लेकिन उसी दिन जब दोपहर बाद बैठक शुरू हुई तो ममता ने बतौर पीएम चेहरा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम पेश कर दिया। हालांकि बाद में खड़गे ने भी मना कर दिया औऱ कहा कि चुनाव बाद तय होगा। लेकिन इस बात पर नीतीश कुमार खफा हो गए और बीच बैठक से चले गए। हालांकि अब हालात संभल गए हैं और सभी दल एकजुट होकर भाजपा से लड़ने को तैयार हैं।
इंडिया में पीएम फेस चेहरे को लेकर हुए कथित विवाद और अन्य मुद्दों पर टाइम्स नाउ और ईटीजी ने मिलकर सर्वे किया। जिसमें सर्वे में भाग लेने वालों से सवाल किया गया था कि खड़गे-राहुल के अलावा इंडिया गठबंधन में और कौन-कौन चेहरा पीएम फेस हो सकता है। इसमें जो नतीजा निकला है, वो दिलचस्प है।
टाइम्स नाउ ईटीजी सर्वे में भाग लेने वाले 29% लोगों ने कहा कि जेडीयू नेता नीतीश कुमार सबसे बेहतर चेहरा होंगे। तरीब 26% लोगों ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस पद के लिए बेहतर पाया। आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल 24% और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के पक्ष में 21% लोगों ने राय दी कि वो ठीकठाक पीएम फेस होंगे। यहां पर यह बताना जरूरी है कि नीतीश और ममता की लोकप्रियता में और केजरीवाल और अखिलेश की लोकप्रियता में खासा फासला है।
टाइम्स नाउ ईटीजी सर्वे में एक सवाल यह भी पूछा गया था कि 2024 में नरेंद्र मोदी के सामने चेहरा राहुल गांधी होना चाहिए या कोई और। सर्वे में इस सवाल का जवाब काफी घुमावदार है। सर्वे में 27% लोगों ने कहा कि राहुल के बजाय मोदी के सामने कोई और चेहरा होना चाहिए। हालांकि 19% लोगों ने कहा कि राहुल गांधी ही चेहरा होना चाहिए। यह अंतर भी बड़ा है यानी लोग मोदी के मुकाबले राहुल को पीएम चेहरा नहीं चाहते। लेकिन 54% लोगों ने कहा कि वो इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। यानी 54% पसोपेश में हैं और वे तय नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि मोदी के सामने राहुल को न पेश किया जाए। साभार: सत्या हिन्दी