Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home समाचार

मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के मायने
विजय विनीत |

RK News by RK News
March 11, 2024
Reading Time: 1 min read
0

बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अब साफ कर दिया है कि वह लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी। हालांकि उन्होंने एक छोटी सी खिड़की जरूर खोल रखी है कि चुनाव बाद वह किसी भी पार्टी से गठबंधन कर सकती हैं। मायावती ने तर्क यह दिया है कि गठबंधन करने पर उनकी पार्टी को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। उनके अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा से बीजेपी की बांछें खिल गई हैं। इन्हें पता है कि दिल्ली की कुर्सी का रास्ता यूपी होकर जाता है। अगर मायावती अकेले चुनाव लड़ती हैं तो बीजेपी की राह आसान हो सकती है।
मायावती के ताजा-तरीन बयान से उनके इंडिया एलायंस में शरीक होने की उम्मीद खत्म हो गई है। प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित करने के लिए भी उन्हें ऑफर दिया गया था। उनके अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद इंडिया गठबंधन की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। अब विपक्षी दलों के नेता आरोप लगा रहे हैं कि बीएसपी बीजेपी की ‘बी’ टीम है। एक वक्त वो भी था जब यूपी को बीएसपी का गढ़ माना जाता था। अब यहां बीएसपी की मौजूदगी तो है, लेकिन उसका प्रभाव तेजी से क्षीण हो रहा है।
यूपी में अब दलित और मुस्लिम समुदायों में यह बात तेजी से फैल रही है कि बीएसपी को वोट देने से बीजेपी को फायदा हो सकता है। यही वजह है कि बीएसपी अपनी ताकत खोती जा रही है। मायावती के समर्थकों के छिटकने की कई वजहें हैं। दलितों को भी अब लगने लगा है कि वह शोषित वर्ग की नेता नहीं, बल्कि स्वेच्छा अथवा मजबूरी में, बीजेपी की मददगार बन गई हैं। कांग्रेस पहले से ही चाहती था कि बीएसपी इंडिया गठबंधन में शामिल हों, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुईं।
क्यों बदल लिया चुनावी स्टैंड
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के तत्काल बाद मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ अपने रिश्तों को तोड़ लिया था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को यूपी में कोई सीट नहीं मिली थी। साल 2019 में बसपा ने सपा के साथ तालमेल की तो लोकसभा में उसकी सीटें दस पर पहुंच गईं, जबकि सपा की सीटें आधी रह गईं। बसपा के मुस्लिम सांसदों का दबाव था कि वह ‘इंडिया’ के साथ मिलकर चुनाव लड़ें, लेकिन मायवती की न जाने कौन सी मजबूरी थी जो उन्होंने अपना स्टैंड बदल लिया।
माना जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन में बसपा की अनुपस्थिति यूपी में इंडिया गठबंधन को कमजोर बनाएगी। माना जा रहा है कि कमजोर सिर्फ इंडिया ही नहीं होगा, मायावती भी होंगी। हाल के दिनों में दलितों और मुस्लिमों में जिस तरह मोहभंग की स्थिति बनती जा रही है उससे एहसास होता है कि यूपी में बसपा के पास अब कोई ताकत नहीं बची है। राजनीतिक फलक पर अप्रासंगिक होती मायावती के ताजा-तरीन फैसलों से दलित वोटरों को भी धक्का लगा है। उन्हें लगता है कि मायावती का यह दावा ठीक नहीं है कि अकेले लड़ने पर उनकी पार्टी मजबूत होगी।
सियासी गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि बीएसपी अगर अकेले चुनाव लड़ती है तो वह प्रत्यक्ष रूप से बीजेपी के साथ है और उसकी मदद कर रही है। ऐसे बीजेपी की मुखालफत करने वाले दलित वोटर बंटेंगे। इन वोटरों का एक खेमा सपा-कांग्रेस की तरफ होगा तो दूसरा खेमा बीएसपी के पास। इससे बीजेपी को नफा और इंडिया को नुकसान होगा। पिछले चुनाव में सपा-बसपा ने मिलकर लोकसभा की 15 सीटें जीती थीं। अबकी उन्हें जबर्दस्त नुकसान हो सकता है। मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसलों से गैर जाटव दलित- खटिक, धोबी, पासी, दुसाध, पासवान आदि जातियों के वोटरों ने अब दूसरे दलों में अपना भविष्य तलाशना शुरू कर दिया है।
क्या कहते हैं आंकड़े
पिछले संसदीय चुनावों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि बसपा ने सपा के साथ जब यूपी में गठबंधन किया तो 80 लोकसभा सीटों में 19.4 फीसदी वोट शेयर के साथ 10 सीटें हासिल की थीं। तीन साल बाद साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ी तो उनकी पार्टी को सिर्फ एक सीट ही मिल पाई। बीएसपी का वोट शेयर गिरकर 13 फीसदी पर पहुंच गया। बीएसपी की जबर्दस्त पराजय के बाद यूपी में बसपा का राजनीतिक कद बहुत छोटा हुआ है। दूसरी तरफ सपा है, जिसने पिछले चुनाव में रालोद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। भाजपा की लहर के बावजूद 111 सीटें और 32 फीसदी वोटों के साथ उसे जबर्दस्त चुनौती दी।
सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है आय से अधिक संपत्ति को लेकर मोदी सरकार ने माया पर मजबूत शिकंजा कस रखा है। ऐसे में बीजेपी का साथ देना उनकी मजबूरी है।

RELATED POSTS

बिहार: महागठबंधन में फूट! इन 8 सीटों पर “friendly figh”होगी

हिंसा,मॉब-लिंचिंग और गौरक्षकों पर तहसीन पूनावाला दिशानिर्देशों की उपेक्षा निंदनीय :मौलाना महमूद मदनी

छत्तीसगढ़ में भी “अवैध”धर्मांतरण के खिलाफ“कठोर”विधेयक लाने का बीजेपी सरकार का फैसला

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

समाचार

बिहार: महागठबंधन में फूट! इन 8 सीटों पर “friendly figh”होगी

October 18, 2025
समाचार

हिंसा,मॉब-लिंचिंग और गौरक्षकों पर तहसीन पूनावाला दिशानिर्देशों की उपेक्षा निंदनीय :मौलाना महमूद मदनी

October 18, 2025
समाचार

छत्तीसगढ़ में भी “अवैध”धर्मांतरण के खिलाफ“कठोर”विधेयक लाने का बीजेपी सरकार का फैसला

October 17, 2025
समाचार

नितीश का मुस्लिमों से किनारा,इस बार सिर्फ 4 प्रत्याशी ? मगर क्यों

October 16, 2025
समाचार

मुझे मुल्ली और आतंकी कहा गया,,, भावुक हुईं सांसद इकरा हसन,

October 16, 2025
समाचार

‘भारत अब रूस से नहीं खरीदेगा तेल’, trump का दावा,PM मोदी को महान शख्‍स बताया,तेल मार्किट में उछाल

October 16, 2025
Next Post

देशभर में लागू हुआ CAA, मोदी सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

हरियाणा में CM बदलने के आसार, लोकसभा चुनाव लड़ेंगेखट्टर : सूत्र

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

JMI Admission: जामिया मिलिया इस्लामिया के विभिन्न कोर्सेज की खाली सीटों पर एडमिशन के लिए करें अप्लाई

October 10, 2024

Kerala Houseboat Tragedy: केरल में हाउसबोट पलटने से अब तक 22 लोगों की मौत, रेस्क्यू जारी

May 8, 2023

वोटिंग वाले दिन फर्जी आधार कार्ड बनाती है BJP:अखिलेश का बड़ा आरोप

September 17, 2025

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • बिहार: महागठबंधन में फूट! इन 8 सीटों पर “friendly figh”होगी
  • हिंसा,मॉब-लिंचिंग और गौरक्षकों पर तहसीन पूनावाला दिशानिर्देशों की उपेक्षा निंदनीय :मौलाना महमूद मदनी
  • छत्तीसगढ़ में भी “अवैध”धर्मांतरण के खिलाफ“कठोर”विधेयक लाने का बीजेपी सरकार का फैसला

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi