बीएसपी प्रमुख मायावती फिर सक्रिय हो गई हैं। कांग्रेस और सपा ने दलित युवक की लिंचिंग का मुद्दा उठाया है। मायावती के कान खड़े हो गए। उन्होंने सपा-कांग्रेस की मंगलवार को आलोचना की। 9 अक्टूबर को रैली कर रही हैं। सरकार ने अनुमति भी दे दी है।
रायबरेली में एक दलित युवक की लिंचिंग का मामला कांग्रेस और सपा ने जोरशोर से उठाया। राहुल गांधी ने दलित युवक के परिवार से फोन पर संपर्क किया। दलितों के अधिकार के लिए लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) इस मुद्दे पर खामोश है। हाल ही में दलितों पर अत्याचार की कई घटनाएं हुईं लेकिन बसपा और इस पार्टी की प्रमुख मायावती चुप रही हैं। लेकिन यूपी में जब दलितों ने नाराज़गी दिखानी शुरू की और कांग्रेस के झंडे के नीचे आने लगे तो मायावती के कान खड़े हो गए। उन्होंने मंगलवार को बहुत लंबा-चौड़ा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने सपा और कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। उन्होंने दलितों को सावधान भी किया कि वे सपा-कांग्रेस के बहकावे में न आएं।
पार्टी को एकजुट करने और कार्यकर्ताओं को संदेश देने के लिए मायावती ने 9 अक्टूबर को लखनऊ के तालकटोरा स्टेडियम में ‘मेगा रैली’ का आयोजन किया है। राजनीतिक हलकों में सभी की निगाहें मायावती के भाषण पर टिकी हुई हैं, जहां वह पार्टी की भविष्य की रणनीति, संभावित गठबंधनों या स्वतंत्र लड़ाई के संकेत दे सकती हैं। लेकिन मामला स्पष्ट है। उनके निशाने पर सत्तारूढ़ बीजेपी नहीं है, बल्कि विपक्ष के दो प्रमुख दल सपा और बसपा निशाने पर हैं।
रैली में दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों को लाने की कोशिश जारी है। बसपा के वरिष्ठ नेताओं को लाखों लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। जिसके जरिए बसपा अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहती है। विश्लेशक इस आयोजन को बसपा के लिए उत्तर प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर पर खोई हुई जमीन वापस हासिल करने का एक बड़ा कदम मान रहे हैंआंकड़े साफ बता रहे हैं कि बसपा का वोट बैंक लगातार गिर रहा है। अब चुनाव में उनकी पार्टी को बीजेपी की मददगार पार्टी माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा को अब नई रणनीति की दरकार है। पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह रैली सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि बसपा के पुनरुद्धार का ऐलान होगी। मायावती बहन जी के संकेत तय करेंगे कि हम 2027 में अकेले लड़ेंगे या किसी नए गठबंधन की ओर बढ़ेंगे।”
मायावती की रैली को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार बहुत उदारता बरत रही है। पुलिस के टॉप अधिकारियों ने रैली स्थल और आसपास के इलाकों का दौरा किया, ताकि पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की जा सके। रैली को बाकायदा अनुमति दी गई है। यह वही सरकार और प्रशासन है जिसने विपक्षी दलों को लखनऊ में वोट चोरी के खिलाफ रैली या प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति नहीं दी। इसके अलावा भी विपक्ष के कई राजनीतिक इवेंट को अनुमति नहीं दी गई












