जैसा की अनुमान लगाया जा रहा था फायरब्रांड नेता ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने लोकसभा चुनाव के लिए रविवार को अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। और इस तरह इंडिया गठबंधन से सीटों का कोई तालमेल न होने का यह एक तरह से साफ़ एलान है समाचार के अनुसार 42 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया है। उम्मीदवारों में पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान और पार्टी नेता महुआ मोइत्रा भी शामिल हैं। महुआ मोइत्रा हाल में विवादों में रही हैं और कथित सवाल पूछने के बदले पैसे लेने के आरोपों में उनकी सांसदी चली गई थी।
टीएमसी ने महुआ मोइत्रा को बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से दोबारा उम्मीदवार बनाया है। इसी सीट से उन्होंने 2019 में चुनाव जीता था। क्रिकेटर यूसुफ पठान टीएमसी में शामिल हो गए हैं और इस तरह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्हें बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया है। बहरामपुर वही सीट है जहाँ से कांग्रेस नेता अधीररंजन चौधरी चुनाव लड़ते रहे हैं। तो क्या अब यूसुफ़ पठान बनाम अधीर रंजन चौधरी मुक़ाबला होगा और क्या टीएमसी और कांग्रेस आमने-सामने होंगी? इस सवाल का जवाब बाद में, पहले यह जान लें कि टीएमसी ने क्या घोषणा की है।पार्टी के ताक़तवर नेता अभिषेक बनर्जी को डायमंड हार्बर से उम्मीदवार बनाया गया है। इनके अलावा मालदा दक्षिण से शाहनवाज अली रेहान, दम दम से सौगत रॉय, बशीरहाट से हाजी नुरुल इस्लाम, जादवपुर से सयोनी घोष, कोलकाता दक्षिण से माला रॉय, कोलकाता उत्तर से सुदीप बंदोपाध्याय, हावड़ा से प्रसून बंदोपाध्याय, श्रीरामपुर से कल्याण बंदोपाध्याय आदि सूची में शामिल हैं।
टीएमसी ने युसूफ पठान को कांग्रेस के गढ़ बहरामपुर से अपना उम्मीदवार उतारा है। बहरामपुर का ही प्रतिनिधित्व कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी करते रहे हैं। हालाँकि कांग्रेस ने अभी तक बंगाल के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है
इस पर कांग्रेस ने कहा है कि उसने बार-बार पश्चिम बंगाल में तृणमूल के साथ सम्मानजनक सीट-बँटवारा समझौता करने की अपनी इच्छा जताई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एएनआई से कहा, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि इस तरह के समझौते को बातचीत के माध्यम से अंतिम रूप दिया जाना चाहिए, न कि एकतरफा घोषणाओं से। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हमेशा चाहती है कि इंडिया समूह एक साथ मिलकर भाजपा से लड़े।’
टीएमसी की घोषणा से पता चलता है कि ममता बनर्जी बिना किसी गठबंधन के अकेले ही चुनाव में उतरना चाहती हैं।उन्होंने काफी पहले से ही यह कहती रही हैं, लेकिन समझा जाता है कि आख़िरी समय तक सीट बँटवातक बातचीत की कोशिश होती रही।
कांग्रेस और तृणमूल इंडिया गठबंधन में एक साथ हैं। माना जाता है कि तृणमूल ने कांग्रेस को बहरामपुर और एक अन्य सीट की पेशकश की थी, लेकिन कांग्रेस इसपर तैयार नहीं हुई और वह ज़्यादा सीटें चाहती थी। इसी वजह से टीएमसी ने अकेले चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया।चौधरी के गढ़ से एक लोकप्रिय व्यक्ति को मैदान में उतारने को पार्टी पर उनके बार-बार किए गए हमलों के लिए तृणमूल की प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जा रहा है।