इतिहास और संस्कृति विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 12 सितंबर, 2022 को विश्वविद्यालय के नेहरू गेस्ट हाउस में प्रोफेसर माइकल कैलाब्रिया (बोनावेंचर यूनिवर्सिटी, यूएसए) द्वारा ‘ताजमहल की रूहानियत’ विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया। जामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और अध्यक्षीय वक्तव्य दिया। इस कार्यक्रम में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रजिस्ट्रार प्रो. नाजिम हुसैन जाफरी
और कई फैकल्टी सदस्य मौजूद थे। इसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया।
कुलपति ने प्रोफेसर कैलाब्रिया का स्वागत किया और जामिया और विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच विचारों के आदान-प्रदान के अवसरों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने ताजमहल के निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में भी बताया। मुमताज महल के इंतकाल के बारे में कुलपति की अंतर्दृष्टि से दर्शक बहुत प्रभावित हुए। वास्तव में उन्होंने इस संदर्भ में भावनाओं के इतिहास के बारे में बात की।
प्रो. कैलाब्रिया का व्याख्यान ताजमहल की भाषा और उसमें निहित रूहानी संदेश पर था। उन्होंने ताज की गहरी समझ और उसके शिलालेखों की जांच करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ताजमहल को सुशोभित करने वाले कुरान की आयतों को शाहजहाँ द्वारा सावधानीपूर्वक चुना गया था। इनमें कुरान के बाईस अलग-अलग पारों की आयतों शामिल हैं। ये छंद आगंतुकों को विनम्र, मानवीय, दयालु और उदार होने की याद
दिलाते हैं लेकिन प्रोफेसर को लगा कि दुर्भाग्य से, उनका अर्थ और महत्व उनमें से अधिकांश तक पहुँच नहीं पाता है। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि शाहजहाँ चाहता था कि आगंतुकों को इस दुनिया में अपने स्वयं के अपरिहार्य अंत की याद दिलाई जाए। सुलेख के माध्यम से उन्होंने उन्हें आध्यात्मिकता और मानवता के सबसे बड़े गुण के रूप में याद दिलाने की कोशिश की।
व्याख्यान ज्ञानवर्धक था और इसके बाद छात्रों के साथ चर्चा की गई। इस व्याख्यान ने दर्शकों से तात्कालिक से परे वास्तविकता पर सोचने का आग्रह किया।