जामिया मिल्लिया इस्लामिया के भूगोल विभाग ने आज राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से ‘डिज़ास्टर रिस्क मैनेजमेंट’ पर पांच दिवसीय संकाय विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम (एफडीपी) शुरू किया। एफडीपी 5 अगस्त, 2022 तक जारी रहेगा।
कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह विश्वविद्यालय के एफटीके-सीआईटी हॉल में आयोजित किया गया। जामिया की कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर पर शिरकत की और विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सीमी फरहत बसीर, प्राकृतिक विज्ञान संकाय, विशिष्ट अतिथि ने मुख्य भाषण दिया। कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफेसरों, नौकरशाहों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया।
कुलपति ने अपने उद्घाटन भाषण में कार्यक्रम की वर्तमान प्रासंगिकता की सराहना की, क्योंकि आपदाएं हो रही हैं और होती रहेंगी इसलिए, आपदा जोखिम में कमी को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने जागरूकता प्रसार करने, क्षमता निर्माण, कौशल बढ़ाने, ज्ञान का प्रसार करने और आपदा जोखिम में कमी के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्यों की सराहना की।
प्रो. सीमी फरहत बसीर ने अपने संबोधन में जीवन, संपत्ति और पर्यावरण पर प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आए भूस्खलन, भूकंप, सूखा, बाढ़ और सुनामी के जोखिम तथा भेद्यता पर विचार-विमर्श किया।
इससे पहले, डॉ. आमिर अली खान, एनआईडीएम और संयोजक ने कार्यक्रम के उद्देश्यों से अवगत कराया। उन्होंने एनआईडीएम के साथ इस कार्यक्रम के सहयोग के लिए जामिया को धन्यवाद दिया।
भूगोल विभाग के अध्यक्ष और संयोजक प्रोफेसर हारून सज्जाद ने जलवायु परिवर्तन के युग में आपदाओं के लिए जागरूकता और प्रभावी समाधान रणनीति तैयार करने के बारे में बात की।
समन्वयक प्रो. लुबना सिद्दीकी ने अतिथियों का स्वागत किया और व्यवस्थित रूप से कार्यक्रम का संचालन किया।
उद्घाटन समारोह का समापन जामिया के समन्वयक डॉ. आसिफ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।