नई दिल्ली/कोलकाता: किसान वसीम अकरम, हनीफ मोमिन, नूर मोहम्मद और अब्दुल मोमिन — जो फरक्का में अदानी ग्रुप द्वारा जबरन हाई-वोल्टेज पावर लाइनें डालने का विरोध कर रहे थे और राज्य पुलिस द्वारा झूठे आरोपों में गिरफ्तार किए गए थे — को 16 दिनों के लंबे कारावास के बाद आज जंगीपुर कोर्ट ने जमानत पर रिहा किया। संयुक्त किसान मोर्चा का घटक संगठन, जय किसान आंदोलन के मुर्शिदाबाद जिला नेता एडवोकेट जियाउल अली खान और अन्य स्थानीय प्रदर्शनकारियों ने अथक परिश्रम से अदालती लड़ाई लड़ी।
विरोध करने वाले किसानों को जमानत मिलने के बाद अधिवक्ता जियाउल अली खान ने कहा: “पुलिस की बर्बरता के कारण गंभीर रूप से घायल किसानों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए और उन्हें गिरफ्तार करके आंदोलन को दबाने का प्रयास किया गया, लेकिन किसान जानते हैं कि अडानी समूह जैसे कॉरपोरेट के साथ गठबंधन करने वाली और भय पैदा करने वाली सरकारों से कैसे निपटना है। राज्य और केंद्र की सरकारें किसानों को बलपूर्वक नहीं दबा सकती है। हम आभारी हैं कि अदालत ने पुलिस द्वारा लगाए गए बेतुके आरोप को देखने के बाद आज निर्दोष किसानों को जमानत दे दी है।”
जय किसान आंदोलन की राष्ट्रीय समिति की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक साहा और पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष प्रबीर मिश्रा ने अधिवक्ता जियाउल अली खान, रिहा हुए किसानों और सभी संघर्षरत किसानों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं और कहा: “अब आंदोलन और तेज बढ़ेगा। निरंतर धरना और प्रदर्शन किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों के हितों के खिलाफ काम करके बंगाल की जनता के साथ विश्वासघात किया है और प्रधानमंत्री मोदी के आशीर्वाद से फले-फूले अदानी समूह से हाथ मिला लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा इसका प्रतिकार करेगा।”