असदुद्दीन ओवैसी को जानकारी नहीं है. मैंने उस वक़्त भी पुलवामा का मामला पीएम के सामने उठाया था और कहा था कि हमारे लोगों की ग़लती से ये हुआ है. मैं चाहता था कि इस पर जाँच हो और मुझे लगा था कि इस पर जाँच करेंगे. इसलिए उस वक़्त मेरे इस्तीफ़ा देने का कोई कारण नहीं था.”ये कहना है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का. बीबीसी के साथ एक ख़ास इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पुलवामा मामले में ज़िम्मेदारी गृह मंत्रालय की थी.
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने उनके सामने सब बातें रख दी थी, तो गृहमंत्री को कुछ करना चाहिए था. इस्तीफ़ा तो उन्हें देना चाहिए था जो ज़िम्मेदार थे.
बीबीसी से बातचीत में सत्यपाल मलिक ने कहा, “पुलवामा जिस दिन हुआ, मैंने पहले दिन ये बात उठाई, मुझे कहा गया कि आप चुप हो जाइए. फिर मुझे पता चला कि ये उसी दिशा में ले जा रहे हैं. पाकिस्तान की तरफ़. उस वक़्त इनका विरोध करना एक ख़तरनाक काम था, क्योंकि फिर देशद्रोही क़रार दे दिए जाते. जब किसान आंदोलन के वक़्त भी मुझे दिखा कि ये लोग किसानों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, तभी मैंने मुद्दा उठा दिया था.”
अरविंद केजरीवाल भी बड़ी प्रमुखता से उनके उठाए सवालों को अपना मुद्दा बना रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल भी तुलनात्मक रूप से बेहतर हैं.लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप तो उनकी सरकार पर भी लग रहे हैं.
जवाब में वे कहते हैं, “मुझे लगता है कि उन्हें इलेक्शन से पहले गिरफ्तार करेंगे. सौ प्रतिशत.”
तो क्या अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी के सामने एक चेहरा हो सकते हैं?
सत्यपाल मलिक कहते हैं, “मोदी जी के सामने का चेहरा किसी को नहीं कह रहा हूँ. मोदी जी के ख़िलाफ़ जनता चेहरा बने. जनता वर्सेज़ मोदी चुनाव होना चाहिए.