नई दिल्ली: कोलकाता से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ में छपी ख़बर के अनुसार, कर्नाटक में सत्तारूढ़ बीजेपी पर आरोप लगाया गया है कि वह एक एनजीओ के ज़रिए धोखे से बेंगलुरु के मतदाताओं के जाति डेटा और अन्य विवरणों को जुटा रही है, ताकि वह आगामी निकाय चुनावों के लिए अपने अभियान को एक क्षेत्र की जनसांख्यिकी के अनुरूप बना सके, और चुनिंदा नामों को सूची से हटा सके.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एनजीओ ने लोगों ने नकली पहचान पत्र के साथ डोर-टू-डोर जाकर डेटा जुटाने का अभियान चलाया, एनजीओ के कर्माचारियों ने मतदाताओं का का धोखे से विश्वास हासिल करने की कोशिश की.
विपक्षी पार्टी का कहना है कि 6 लाख मतदाताओं के नाम इस प्रक्रियाके बाद सूची से बटा दिए गए हैं. हालांकि ये सर्वे करवाने वाली नागरिक निकाय, बेंगलुरु महानगरपालिका ने इस दावे को ख़ारिज किया गया.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, बेंगलुरु में 79 लाख मतदाता हैं. कांग्रेस विधायक रिज़वान अरशद ने द टेलीग्राफ को बताया कि कृष्णप्पा रविकुमार ने 2013 में एनजीओ को पंजीकृत करवाया, यह शख़्स “चिलुमे एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड” कंपनी भी चलाता है और ये कंपनी बीजेपी के लिए चुनाव संबंधी काम करती है.