सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया, जिसमें निजामुद्दीन में पिछले साल हुए तबलीगी जमात कार्यक्रम के बाद कथित रूप से इस्लाम के खिलाफ पूर्वाग्रह पैदा करने वाली पोस्ट डाले जाने के मामले में ट्विटर और उसके यूजर्स के खिलाफ सीबीआई या एनआईए से जांच कराने की मांग की गई थी। याचिका पर सुनवाई अगले हफ्ते में होगी। इन पोस्ट में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार के कारणों में से एक इसे भी बताया गया था।
अमरउजाला की खबर के अनुसार ऐजाजुद्दीन ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल के उस आदेश के खिलाफ एक अपील दायर की थी, जिसमें उससे कहा गया था कि वह भारत में सभी ऑनलाइन सोशल मीडिया नेटवर्क को ‘इस्लाम के खिलाफ पूर्वाग्रह पैदा करने वाली’ पोस्ट डालने से रोकने का केंद्र को निर्देश देने को लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाए।
याचिका में यह भी कहा गया कि कथित रूप से घृणा फैलाने के लिए ट्विटर और उसके उपयोगकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने के संबंध में केंद्र को निर्देश देने के अनुरोध पर उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को याचिका पर केवल विचार करने का निर्देश दिया। याचिका में कहा गया कि उच्च न्यायालय ने उसके (प्राथमिकी दर्ज करने के बारे) किए गए अनुरोध पर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया।