Delhin Assembly Election 2025:
मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार चर्चा में हैं. इस सीट से आम आदमी पार्टी ने युवा चेहरे को अपना उम्मीदवार बनाया और आदिल अहमद खान को खड़ा किया है, कांग्रेस ने अली मेहंदी पर अपना दांव चला.सबसे ज्यादा चर्चा जिस उम्मीदवार की है वह दिल्ली दंगों के आरोप में जेल में बंद ताहिर हुसैन है जिसको एआईएमआईएम ने अपनी टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा है. बीजेपी ने इस सीट पर करावल नगर से पूर्व विधायक मोहन सिंह बिष्ट को टिकट देकर मुकाबला और दिलचस्प कर दिया है.
किसमें कितना है दम?
इस सीट पर सभी उम्मीदवार अपना दमखम रखते हैं और यही वजह है कि यहां का मुकाबला आसान नहीं है लेकिन इस सीट पर जो सबसे बड़ा फैक्टर है वह मुस्लिम वोट बैंक है. जहां एक तरफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार में यह मुकाबला और मुस्लिम वोट बैंक को लेकर होड़ रहती तो वही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को यहां से टिकट देकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी कोशिश की है.
इस सीट पर तकरीबन 40% मुस्लिम वोट बैंक है और अब यह वोट बैंक बंटता हुआ दिख रहा है क्योंकि एक तरफ मुस्लिम वोट बैंक के लिए आम आदमी पार्टी के आदिल अहमद खान अपनी कोशिश में लगे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी इस वोट बैंक को साधने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है. इसके साथ ही इलाके में दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन के साथ बहुत लोगों की सहानुभूति दिखाई दे रही है.
मोहन सिंह बिष्ट की क्या है स्थिति?
बीजेपी से उम्मीदवार मोहन सिंह बिष्ट की नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इलाकों में अपना ठीक-ठाक वुजूद कायम रखे हुए हैं और यही वजह है कि वह मुस्तफाबाद से करीब करावल नगर से कई बार विधायक भी रह चुके हैं. 40% मुस्लिम वोट बैंक को अगर छोड़ दिया जाए तो तकरीबन 60% वोट बैंक पर बीजेपी फोकस कर रही है.
मुस्तफाबाद सीट का इतिहास
मुस्तफाबाद सीट का इतिहास उठाकर देखा जाए तो इस सीट पर हमेशा से मुकाबला कड़ा रहा है. साल 2008 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 40.7% वोट पाकर कांग्रेस के उम्मीदवार हसन अहमद ने जीत हासिल की थी और बीजेपी महज़ कुछ ही वोटों से इस सीट पर हारी थी, बीजेपी को 39.69% वोट मिला था. साल 2013 में इस सीट पर फिर एक बार कांग्रेस से हसन अहमद ने चुनाव जीतकर दिखाया था लेकिन इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोट मर्ज़ीन काफी कर रहा था. इस बार 38.24% वोट कॉग्रेस ने पाए थे तो वही बीजेपी 36.95% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी.
2015 में बीजेपी के खाते में गई सीट
साल 2015 में कांग्रेस के उम्मीदवार हसन अहमद फिर इस सीट से चुनाव लड़े लेकिन इस बार हमें शिकायत का सामना करना पड़ा था और बीजेपी ने अपना वोट परसेंटेज बढ़कर इस सीट पर जीत हासिल की थी तो वही साल 2008 और साल 2013 दोनों में ही कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम हुआ. हालांकि वोट प्रतिशत बीजेपी का भी इस बार कम रहा. 2015 में बीजेपी से जगदीश प्रधान ने 35.33% वोट पाकर जीत हासिल की थी.
2020 में कौन हारा कौन जीता?
साल 2020 में आम आदमी पार्टी से हाजी यूनुस ने 53.2% वोटों के साथ पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की जबकि बीजेपी 42.06% के साथ दूसरे स्थान पर रही थी और कांग्रेस 2.89% के साथ तीसरे स्थान पर रही.( साभार एबीपी नियूज)