Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home समाचार

संविधान पर बहस: पीएम मोदी के आगे क्या राहुल गांधी ने फिर मौक़ा गंवा दिया?

RK News by RK News
December 15, 2024
Reading Time: 1 min read
0

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शनिवार को जो संविधान पर बहस हुई उसमें संविधान पर कम और अपनी अपनी राजनीति पर बातें अधिक हुईं.
वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी बहस पर निराशा ज़ाहिर करते हैं.
बीबीसी हिंदी से उन्होंने कहा, “संविधान की प्रस्तावना और नीति निर्देशक तत्वों पर बहस होनी चाहिए थी लेकिन उस पर बहस हुई ही नहीं. और सबने अपनी समसामयिक राजनीतिक के लिए इस चर्चा का इस्तेमाल किया.”
यह बहस कांग्रेस की मांग पर बुलाई गई थी. विजय त्रिवेदी कहते हैं, “लेकिन लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने 20-25 मिनट के भाषण में ऐसी कोई बात नहीं की जिससे पता चलता कि कांग्रेस का संविधान निर्माण में क्या योगदान था या आज की सरकार उस पर कितना खरी उतरी है या नहीं उतरी है.”
विजय त्रिवेदी के मुताबिक़ राहुल गांधी ने एक बड़े मौक़े को गंवा दिया, जब एक सार्थक बहस खड़ी की जा सकती थी.
उनके मुताबिक़, “यह राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए एक बड़ा मौक़ा था जिसे उन्होंने गंवा दिया. आज के भाषण में मुझे ‘राहुल गांधी मौक़ा खोने का कोई मौक़ा नहीं गंवाते’, ये कहावत सटीक लगी.”
विजय त्रिवेदी कहते हैं, “राहुल सवाल सरकार से पूछ सकते थे कि वह जातिगत जनगणना करवा रही है या नहीं, या कब करवा रही है. या फिर सोमवार को एक देश एक चुनाव का बिल सरकार ला रही है. वो इस बारे में सवाल कर सकते थे और अपनी राय ज़ाहिर कर सकते थे.”
“या ये पूछ सकते थे कि क्या सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चर्चा करने जा रही है. जिस समय समय संविधान बना तो इसकी चर्चा की गई थी लेकिन उस समय लागू नहीं किया गया, आज इसे लागू करने की ज़रूरत क्यों आन पड़ी, ये सवाल राहुल पूछ सकते थे. लेकिन ऊपरी तौर पर संविधान के बारे में बात करते हुए अपने भाषण को जल्द समेट दिया.”
विजय त्रिवेदी के अनुसार, “कांग्रेस संविधान के बारीक़ मुद्दों पर अपने अनुभवी नेताओं को मौक़ा देकर एक सार्थक बहस खड़ी कर सकती थी. उनके पास शशि थरूर और शैलजा कुमारी जैसे लोग थे. लेकिन उन्होंने बहस की शुरुआत प्रियंका गांधी से कराई, इसलिए कि उन्हें आगे करना था.”
विजय त्रिवेदी का मानना है कि कांग्रेस ने इस बहस से कोई छाप छोड़ने का मौक़ा पूरी तरह गंवा दिया.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विनोद शर्मा का भी कहना था कि राहुल गांधी जल्दबाज़ी में दिख रहे थे और अपने भाषण को जल्द समेट दिया.
गड़े मुर्दे उखाड़े गए’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण का लंबा हिस्सा नेहरू से लेकर गांधी परिवार के शासन की आलोचना में ख़र्च किया.विजय त्रिवेदी ने कहा, “दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने गड़े मुर्दे उखाड़ने या नेहरू गांधी परिवार की आलोचना में अपना सारा समय बिताया.”
“प्रधानमंत्री ने इंदिरा गांधी और आपातकाल की आलोचना की लेकिन इसे बीते हुए 50 साल हो गए हैं, इस पर कितनी बात की जा सकती है. वो 2047 की बात करते हैं तो उन्हें ये बताना चाहिए कि भविष्य में संविधान के किस स्वरूप को लेकर चलेंगे.”बीजेपी की ओर से संविधान संशोधन को लेकर आक्रामक बहस की गई. लेकिन इसमें तथ्यों के प्रति पूर्वाग्रह भी दिखा.
विजय त्रिवेदी कहते हैं, “एक बात प्रधानमंत्री ने बार बार बोला कि नेहरू ने संविधान में संशोधन किए और फिर इंदिरा गांधी के मुंह खून लग गया और उन्होंने भी बदलाव किए. जबकि देश में हुए 106 संविधान संशोधन में 30 के करीब संशोधन तो गैर कांग्रेसी सरकारों ने किए. खुद बीजेपी ने कई संशोधन किये हैं.”
विजय त्रिवेदी ने कहा, “प्रधानमंत्री ने भी एक देश एक चुनाव पर कोई बात नहीं की, जबकि यह संवैधानिक बदलाव का मुद्दा है. भाषण में न तो चुनाव सुधारों पर बात हुई और न संविधान को मज़बूत करने पर. जातिगत आरक्षण पर केवल उन्होंने इतना संदेश दिया कि वो धार्मिक आरक्षण के ख़िलाफ़ हैं, लेकिन जातिगत आरक्षण और जातिगत जनगणना पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा.”
उनके मुताबिक़, “संविधान पर हुई बहस में एक एक बड़ा मुद्दा रह गया, वो है केंद्र और राज्य संबंध. संविधान सभा में इस पर लंबी बहस हुई और अभी यह एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है. केंद्र और राज्यों के अधिकार को लेकर तमाम विवाद हैं और राज्यपालों की भूमिका पर राहुल गांधी ने भी कोई बात नहीं की. न प्रधानमंत्री उस तरफ़ गए.”
विजय त्रिवेदी ने अखिलेश यादव का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके भाषण में भी कोई दम नहीं था.वो कहते हैं, “अखिलेश यादव ने अपने भाषण के अंत में राम मनोहर लोहिया का नाम लिया. जबकि वो संविधान में समाजवाद की अवधारणा पर बोल सकते थे. आजकल इस पर बहस भी चल रही है.””राहुल गांधी संविधान में समाजवाद और सेक्युलरिज़्म को लाए जाने पर बात रख सकते थे. या पीएम मोदी सेक्युलरिज़्म पर अपने विचार व्यक्त कर सकते थे.आभार: बीबीसी

RELATED POSTS

नई दिल्ली:नेवी का क्लर्क विशाल  जासूसी के आरोप में गिरफ्तार, पाक महिला हैंडलर ‘प्रिया शर्मा’ को गोपनीय सैन्य जानकारी दी

SCO में चीन-पाक का खेल: पहलगाम की जगह बलूचिस्तान का नाम… भारत का जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन से इनकार

इजराइल-ईरान और अमेरिका:12 दिन की war में किस को कितना फायदा व नुक्सान:report

Tags: ConstitutionDebatePM ModiRahul Gandhi
ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

समाचार

नई दिल्ली:नेवी का क्लर्क विशाल  जासूसी के आरोप में गिरफ्तार, पाक महिला हैंडलर ‘प्रिया शर्मा’ को गोपनीय सैन्य जानकारी दी

June 26, 2025
Uncategorized

SCO में चीन-पाक का खेल: पहलगाम की जगह बलूचिस्तान का नाम… भारत का जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन से इनकार

June 26, 2025
समाचार

इजराइल-ईरान और अमेरिका:12 दिन की war में किस को कितना फायदा व नुक्सान:report

June 25, 2025
समाचार

“खुशखबरी”: लम्बी दूरी के यात्री खबरदार,ढीली होगी जेब,एक जुलाई से ट्रेन का सफर होगा महंगा!

June 24, 2025
समाचार

खामेनेई की सुरक्षा एक ऐसी elite unit के पास, जिसके अस्तित्व के बारे में किसी को पता नहीं था

June 23, 2025
समाचार

ईरान पर अमेरिकी बमबारी खुली आक्रामकता: मौलाना महमूद मदनी

June 23, 2025
Next Post

डॉ. योगिता मुंजाल को अंतर्राष्ट्रीय TCAM सम्मेलन में पहचान पुरस्कार से सम्मानित किया गया

संभल में शिव मंदिर पर प्रशासन के 'अतिक्रमण' वाले दावे पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

कांग्रेस मुक्त भारत संभव नहीं: शरद पवार

कांग्रेस मुक्त भारत संभव नहीं: शरद पवार

December 29, 2022
जौहर यूनिवर्सिटी फंडिंग मामले में आजम खान के बेटे और पत्नी को ईडी ने तलब किया    

जौहर यूनिवर्सिटी फंडिंग मामले में आजम खान के बेटे और पत्नी को ईडी ने तलब किया   

July 5, 2022
कश्‍मीर को लेकर क्‍या सोचते थे जवाहरलाल नेहरू!

कश्‍मीर को लेकर क्‍या सोचते थे जवाहरलाल नेहरू!

November 14, 2022

Popular Stories

  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • नई दिल्ली:नेवी का क्लर्क विशाल  जासूसी के आरोप में गिरफ्तार, पाक महिला हैंडलर ‘प्रिया शर्मा’ को गोपनीय सैन्य जानकारी दी
  • SCO में चीन-पाक का खेल: पहलगाम की जगह बलूचिस्तान का नाम… भारत का जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन से इनकार
  • इजराइल-ईरान और अमेरिका:12 दिन की war में किस को कितना फायदा व नुक्सान:report

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi