Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

यूपी में दलितों पर अत्याचार और दलित राजनीति! एक नजरिया

RK News by RK News
August 27, 2022
Reading Time: 1 min read
0
यूपी में दलितों पर अत्याचार और दलित राजनीति! एक नजरिया

पीयूष राय

RELATED POSTS

ग़ज़ा में लोग चलती-फिरती लाशें बन गए हैं’, पत्रकारों की आपबीती

राहुल क्या हिंदुत्व के समानांतर कांग्रेस की नई विचारधारा खड़ी कर पाएंगे?

महाराष्ट्र भाषा विवादः हिंदुत्ववादी राजनीति का हथियार है हिंदी

लखनऊ में अपने घर में खाट पर सो रहे दलित युवक की बम धमाके में मौत हो जाती है. फर्रुखाबाद में एक दलित व्यक्ति की कथित तौर पर पुलिस वालों द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है. हापुड़ में सरकारी स्कूल में दलित बच्चियों के कपड़े उतार कर दूसरे बच्चों को पहनाए जाते हैं. मुजफ्फरनगर में प्रधान जी दलित युवक पर चप्पल बरसा रहे हैं. भदोही में दलित बच्ची को यूनिफॉर्म ना पहनने पर पूर्व प्रधान थप्पड़ मार कर भगा देता है.

इन सब कहानियों को सिर्फ एक कड़ी जोड़ती है कि इसमें पीड़ित दलित हैं. अगर एनसीआरबी के आंकड़ों की बात करें तो 2018 से लेकर 2020 तक पूरे देश में दलित उत्पीड़न और अत्याचार के 139045 मामले आए जिनमें सबसे ज्यादा 36467 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए.

सैकड़ों वर्षों से उत्पीड़न का शिकार हो रहे दलितों की स्थिति यूपी में अब पहले से भी बदतर है. क्या इसका एक कारण यह है कि इनके हक के लिए लड़ने वाली एक दमदार राजनीतिक आवाज अब शांत सी हो गई है.

जी हां, हम बात कर रहे हैं बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की. कभी उत्तर प्रदेश के सत्ता की बागडोर संभालने वालीं मायावती का प्रभुत्व अब धीरे-धीरे सिमट रहा है. इनके पार्टी के खत्म होते राजनीतिक अस्तित्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीएसपी ने 2022 विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज की.

आरोप यह भी लगा कि जिन सीटों पर समाजवादी पार्टी की स्थिति मजबूत देखी जा रही थी उन सीटों पर बीजेपी का पलड़ा भारी करने के लिए मायावती ने मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार उतारे. इन सब राजनीतिक दांव पेंच के बीच एक बात अभी तक नहीं समझ में आ रही है मायावती और उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में अपनी खोई हुई जगह पाने के लिए वापस क्या प्रयास कर रही है.

मयावती के घटते कद के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में जन्म हुआ चंद्रशेखर का जिन्होंने दलित राजनीति के बल पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी नाम कमाया. दलित उत्पीड़न और उनके साथ हो रहे अत्याचार के लिए जमीनी स्तर पर संघर्ष करने की उम्मीद जो लोग मायावती से लगाए हुए थे उसमें चंद्रशेखर धीरे-धीरे एक नई उम्मीद बनकर उभरते हुए दिख रहे हैं.

मायावती के बदले हुए तेवर और उनके कैडर के गिरते आत्मविश्वास के बीच चंद्रशेखर ने दलित अत्याचार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला है हालांकि विपक्ष जानता है कि राजनीति का ककहरा सीख रहे चंद्रशेखर उनके लिए अभी बड़ी चुनौती नहीं है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि चंद्रशेखर अपने वादों पर खरे नहीं उतर रहे हैं.

यूपी में दलितों पर बढ़ते अत्याचार और दलित राजनीति का बंटाधार. इसकी एक वजह ये है कि दलितों के हित की बात करने वाली पार्टियां कब अपने हित साधने लग गईं, पता ही नहीं चला. कुर्सी पर पकड़ बनाए रखने के लिए वो अपनी कोर राजनीति से हटीं और जिस आधार पर पार्टी खड़ी थी, उसी को कमजोर कर दिया. इस बीच दलित वोट उधर खिसकता चला गया जिधर दलितों पर जुल्म ढाने वाले लोगों की भीड़ है.

उन पार्टियों के चुनावी मंचों से दलितों को बराबरी का हक दिलाने की तो बातें बहुत हुईं लेकिन ग्राउंड उनके काडर की मानसिकता नहीं बदली. जाहिर है यूपी में दलित राजनीति में बहुत बड़ा शून्य पैदा हो गया और दलितों को इंतजार है कि फिर कोई मसीहा उनके लिए आए.

यह लेखक के निजी विचार है।

आभार: thequint

 

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

ग़ज़ा में लोग चलती-फिरती लाशें बन गए हैं’, पत्रकारों की आपबीती

July 27, 2025
विचार

राहुल क्या हिंदुत्व के समानांतर कांग्रेस की नई विचारधारा खड़ी कर पाएंगे?

July 25, 2025
Uncategorized

महाराष्ट्र भाषा विवादः हिंदुत्ववादी राजनीति का हथियार है हिंदी

July 14, 2025
विचार

फिलीस्तीन पर अवसरवाद  :-मनोज झा

June 30, 2025
विचार

अहमदाबाद: एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो कर, दो टुकड़ों में टूटा,242 यात्रियों में53 ब्रिटिश,

June 12, 2025
विचार

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

May 15, 2025
Next Post
पीएम के गुजरात दौरे से पहले कच्छ में सांप्रदायिक हिंसा

पीएम के गुजरात दौरे से पहले कच्छ में सांप्रदायिक हिंसा

भारत जोड़ो जात्रा: जनता साथ आएगी?

भारत जोड़ो जात्रा: जनता साथ आएगी?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

“नूपुर की जुबान काटकर लाने पर एक करोड़ का इनाम”। भीम सेना का भड़काऊ बयान

“नूपुर की जुबान काटकर लाने पर एक करोड़ का इनाम”। भीम सेना का भड़काऊ बयान

June 9, 2022
रांची: मुदस्सिर का 10वीं का रिजल्ट आया फर्स्ट फर्स्ट डिवीज से पास

रांची: मुदस्सिर का 10वीं का रिजल्ट आया फर्स्ट फर्स्ट डिवीज से पास

June 22, 2022
भारत की पहली मुस्लिम फीमेल न्यूरोसर्जन बनी डॉ. मरियम अफीफा अंसारी

भारत की पहली मुस्लिम फीमेल न्यूरोसर्जन बनी डॉ. मरियम अफीफा अंसारी

June 30, 2022

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • सीएए विरोधी प्रदर्शनों में जेल में बंद  शरजील इमाम  का बिहार चुनाव लड़ने का फैसला
  • ग़ज़ा में नरसंहार पर पीएम की ‘शर्मनाक चुप्पी, मानवता के खिलाफ अपमान,अत्याचारों के खिलाफ बोलें: सोनिया
  • असम सरकार ने गोलाघाट में 2,000 से अधिक बंगाली मुस्लिम परिवारों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान शुरू किया!:report

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi