जौनपुर की कोर्ट ने सोमवार को शहर की 14वीं शताब्दी की अटाला मस्जिद के सर्वे की मांग करने वाली स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की याचिका पर आदेश पारित करने से फिलहाल इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर के अंतरिम आदेश में देशभर की अदालतों को कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया गया था। इसमें सर्वे का आदेश भी शामिल है।
जौनपुर कोर्ट ने सोमवार को कहा कि “जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि लंबित मुकदमों में सुनवाई की अगली तारीख तक, कोई भी अदालत कोई प्रभावी अंतरिम आदेश या अंतिम आदेश पारित नहीं करेगी, जिसमें सर्वे का निर्देश देने वाले आदेश भी शामिल हैं। 17सी पर कोई सुनवाई/अमीन रिट के लिए पुलिस सहायता के रूप में 17सी पर आदेश सुप्रीम कोर्ट के अगले निर्देशों तक इस अदालत द्वारा पारित नहीं किया जाएगा। कार्यालय कोई भी अमीन रिट जारी नहीं करेगा। माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कड़ाई से अनुपालन किया जाए।”
लाइव लॉ के मुताबिक सिविल जज (जेडी) सिटी जौनपुर, सुधा शर्मा ने अब मामले को 2 मार्च, 2025 को आदेश के लिए पोस्ट कर दिया है। जिसके 12 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट पूजा स्थल अधिनियम 1991 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। पूजा स्थल अधिनियम साफ तौर पर 15 अगस्त, 1947 की स्थिति में जिस धार्मिक स्थल का जो भी स्वरूप था, उसे बदलने से रोकता है।
सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर के आदेश को देश में मुगलकाल की मस्जिदों और दरगाहों के मालिकाना हक का दावा करने वाले कई मुकदमे दायर करने के बारे में चिंताओं को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के रूप में देखा जा सकता है। पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के एक फैसले में उनकी टिप्पणी की आड़ में देशभर में धार्मिक स्थलों के सर्वे की माग होने लगी। हर पुरानी मस्जिद के नीचे मंदिर तलाशा जाने लगा। संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में 4 मुस्लिम युवक मारे गये थे। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने मस्जिदों के सर्वे पर अब रोक लगा दी है।