अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे और कि राष्ट्रपति बाइडन की ओर से शानदार स्वागत पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है और इस मेहमान नवाजी की वजह बताई है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक और रिपोर्ट में लिखा है, ”अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मोदी के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी. बाइडन चाहते हैं कि रूस और चीन के साथ जब अमेरिका की तनातनी चल रही है, ऐसे में भारत उसके साथ रहे. मोदी के इस दौरे में सबसे दिलचस्प बात यही रही कि बाइडन ने मोदी को संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में रिपोर्टर से सवाल लेने के लिए तैयार किया.”
”पिछले एक दशक में राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह विरले था कि उन्होंने रिपोर्टर का सीधा सवाल लिया. मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकार और लोकतंत्र को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि भारत के डीएनए में लोकतंत्र और धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है.”
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ”बाइडन ने मोदी के शासन में भारत में असहमति की आवाज़ दबाने और प्रेस की आज़ादी कमज़ोर होने के आरोपों को तवज्जो नहीं दी. दूसरी तरफ़ बाइडन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तानाशाह कहने के बाद इस बात पर कायम रहे और उन्होंने बयान से पीछे हटने की बात को नकार दिया. बाइडन चीन और रूस की आक्रामकता के ख़िलाफ़ अपने कुनबे को और बड़ा करना चाहते हैं.”
”भारत अब भी शीत युद्ध के समय से ही ख़ुद को गुटनिरपेक्ष रखने की कोशिश कर रहा है. भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की अब तक निंदा नहीं की है. दूसरी तरफ़ भारत का चीन के साथ सरहद पर तनातनी है लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है कि भारत चीन के मामले में भी अमेरिकी खेमे में आएगा या नहीं.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ”प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी को उनके गृह राज्य गुजरात में सांप्रदायिक दंगे के कारण अमेरिका ने वीज़ा देने से इनकार कर दिया था. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति बाइडन पीएम मोदी के साथ निजी बातचीत में मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दे उठाएंगे. मोदी ने रूस पर भारत का रुख़ बदलने का कोई संकेत नहीं दिया है. यहां तक कि अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए भी मोदी ने रूस और चीन का नाम नहीं लिया.”