नई दिल्ली:रामपुर विधानसभा उपचुनाव में 5 दिसंबर को मतदान के दौरान मतदाताओं को वोट डालने से रोकने की घटनाओं को आज 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के सामने रखा गया। चीफ जस्टिस ने इसे गंभीर मामला बताते हुए इसे 8 दिसंबर को उनकी कोर्ट के सामने उल्लेख (मेंशन) किए जाने की बात कही। रामपुर में कुल 33 फीसदी मतदान हुआ जो अब तक का सबसे कम मतदान है। तमाम नागरिक संगठनों, वकीलों और समाजवादी पार्टी का आरोप है कि सरकार के इशारे पर पुलिस ने रामपुर के मतदाताओं को वोट नहीं डालने दिया गया। उन्हें पीटा गया, उनके घरों पर पुलिस ने हमले किए।
रामपुर विधानसभा उपचुनाव का नतीजा कल 8 दिसंबर को आने वाला है। ‘बार एंड बेंच वेबसाइट’ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में 7 दिसंबर की शाम को भारत के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने एक वकील पेश हुए। उन्होंने कहाः दो दिन पहले एक असाधारण परिस्थिति हुई है। रामपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए चुनाव हुआ है। पुलिस अधिकारियों ने, जो संविधान के रक्षक हैं, हजारों मतदाताओं को पीट-पीट कर मतदान करने से रोक दिया है। …पुलिस घरों में घुस गई। मतदाताओं को मतदान करने से रोका।मैं खुद उसी विधानसभा क्षेत्र का मतदाता हूं।मैंने एक याचिका दायर की है। मैं अदालत से आग्रह करता हूं कि इस मामले की तत्काल सुनवाई कल की जाए।
इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा – आखिरकार, सभी चुनाव महत्वपूर्ण है। यह गंभीर मामला है। आप कल (8 दिसंबर) इसका जिक्र करें। चुनाव की मतगणना को रोकना एक अलग मामला है…इस पर वकील ने कहा – मेरे पास हासिल करने के लिए कुछ नहीं है। तब चीफ जस्टिस ने कहा – नहीं, मैं कोई आक्षेप नहीं लगा रहा हूं। आप कल 8 दिसंबर को इसका उल्लेख करें