नई दिल्ली | जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) के उपाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा है कि हलाल-सर्टिफाइड उत्पादों के भंडारण और बिक्री पर यूपी सरकार की कार्रवाई “बेहद हास्यास्पद और दुर्भाग्यपूर्ण” है.
18 नवंबर को खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन (एफएसडीए), लखनऊ द्वारा हलाल-सर्टिफाइड उत्पादों पर प्रतिबंध आदेश के जारी किए जाने के बाद से ही राज्य सरकार की एजेंसियों ने पूरे राज्य में दुकानों और मॉलों पर छापेमारी शुरू कर दी है.
यूपी सरकार द्वारा हलाल प्रोडक्ट पर लगाए गए प्रतिबंध के आदेश के तहत हलाल सर्टिफाइड उत्पादों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और खरीद पर पाबन्दी होगी. सरकार द्वारा लगाई गई इस पाबन्दी का विरोधाभास यह है कि यह हलाल उत्पादों के निर्यात पर छूट देता है.
प्रोफेसर सलीम ने कहा कि यह समझ से परे है कि यूपी सरकार हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर प्रतिबंध लगाकर समाज और देश को क्या संदेश देना चाहती है.
उन्होंने आगे कहा कि, “यूपी सरकार की सत्ता के शीर्ष पर विराजमान नेता को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह यूपी के 24 करोड़ लोगों के मुख्यमंत्री हैं, जिसमें सभी धार्मिक संप्रदायों के मानने वाले लोग शामिल हैं और यह सुनिश्चित करना मुख्यमंत्री की संवैधानिक ज़िम्मेदारी है कि किसी के साथ भी जाति और संप्रदाय के आधार पर कोई भेदभाव न हो.”
प्रोफेसर सलीम ने बताया कि, “हर धर्म में, कुछ चीज़ें होती हैं जो उस विशेष धर्म के अनुयायियों के लिए निषिद्ध होती हैं, और भारत का संविधान स्पष्ट रूप से उन्हें इस नियम का पालन करने की अनुमति देता है.”
प्रोफेसर सलीम इंजीनियर अखिल भारतीय धार्मिक जन मोर्चा और सद्भावना मंच के संयोजक भी हैं, जिसमें विभिन्न प्रतिनिधि शामिल हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि, “यूपी सरकार की कार्रवाई स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय और इस्लाम के खिलाफ नफरत, अतार्किक और सांप्रदायिक सद्भाव के खिलाफ है.”
जेआईएच नेता ने आगे टिप्पणी करते हुए कहा कि, “अगर यूपी सरकार के इस गलत फैसले को उचित मान लिया जाए तो रेस्टोरेंट्स के बाहर शुद्ध शाकाहारी लिखना, हर उत्पाद के कवर पर सामग्री का उल्लेख करना, मिठाई और अन्य उत्पादों पर शुगर-फ्री लिखना और मांस की दुकानों पर हलाल और झटका लिखना सभी को अवैध घोषित किया जाए.”
हालांकि, उन्होंने उत्पाद पर सामग्री के विवरण का उल्लेख करने का बचाव करते हुए कहा कि इससे उपभोक्ताओं को मदद मिलती है और उत्पाद में मौजूद सामग्री को लेकर के किसी भी प्रकार की भ्रम की स्थिति में उनकी समस्याएं दूर होती हैं.
जेआईएच नेता ने कहा कि इस तरह के आदेश से केवल ग्राहकों में भ्रम बढ़ेगा और व्यापार और निवेश में बाधा आएगी.
उन्होंने बताया कि इस तरह की प्रतिगामी कार्रवाई का नुकसान उन लोगों को अधिक उठाना पड़ेगा जिनके लिए वह “हिंदू हृदय सम्राट” के रूप में उभरना चाहते हैं, न कि उन लोगों को जिनकी नफरत में उन्हें यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है.
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से “संविधान की भावना के अनुसार सभी नागरिकों की सेवा करने की अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने और सभी लोगों की शांति, न्याय और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए राज धर्म का पालन करने की अपील की.”