पाकिस्तान के ex pm इमरान खान की गिरफ्तारी को अभी चंद घंटे ही हुए हैं और ऐसा लगता है की पाकिस्तान जल उठा है। सारी पब्लिक सड़कों पर उतर आई है आर्मी हेड क्वार्टर, रेडियो पाकिस्तान की बिल्डिंग बड़ी-बड़ी सरकारी इमारतें और संस्थाएं आग के हवाले कर दी गई हैं। ऐसा लग रहा है कि वहां कोई सरकार नहीं है।
सवाल यह है की क्या सरकार और आर्मी ने जानबूझकर जनता को खुली छूट दी है? क्या पाकिस्तान एक बार फिर सेना के बूटों तले रौंदा जाएगा? क्या पड़ोसी देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है? क्या वहां मार्शल ला लगाने के हालात पैदा किए जा रहे हैं? क्या फिर imran Khan जनता में बेहद लोकप्रिय हैं? आइंदा आने वाले कुछ घंटे पाकिस्तान के भविष्य के लिए बहुत अहम है और भारत के लिए भी चिंताजनक है। वह हमारा सबसे करीबी पड़ोसी है और वहां जो कुछ होता है उसका भारत की राजनीति पर भी असर पड़ता है। सच्चाई तो यह है कि इमरान खान के राजनैतिक दुश्मन तो थे ही कुछ दुश्मन उन्होंने खुद पैदा किए। पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि जिसने सेना से पंजा लड़ाया या उसे आंखें दिखाई उसे भुट्टो, बेनजीर और नवाज शरीफ बना दिया गया। इमरान खान के सेना से मधुर संबंध रहे तो सत्ता उनको सलाम करती रही मगर जब बाजवा से रिश्ते बिगड़े तो उन की उल्टी गिनती शुरू हो गई। अब मिलियन डॉलर का सवाल यही है किक इमरान खान भी उसी लिस्ट में शामिल होंगे जो उसके पूर्व नेताओं का अंजाम दुनिया ने देखा? शायद ऐसा ना हो और शायद ऐसा ही हो, तो मानना पड़ेगा इमरान खान ने पाकिस्तान की राजनीति को वडेरो, जागीरदारों और राजनीतिक घरानों से निकालकर जनता के दरमियान लाकर खड़ा कर दिया, और शायद यही उनकी सबसे बड़ी गलती या जुर्म है।