लखनऊ (सिद्दीक़ी मुहम्मद उवैस) : सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में पुलिस फायरिंग में 22 युवकों की मौत हो गई, इनमें किसी का पति, कीसी का भाई तो कीसी का बेटा शामिल था।
सामूहिक रूप से मारे गए लोगों के परिजनों का कहना है कि कुछ दिनों के हंगामे और शोर ग़ुल के बाद किसी ने उनकी की तरफ़ देखा तक नहीं। कोई मुस्लिम संगठन नहीं भटका, किसी ने कानूनी या वित्तीय सहायता ना दी। अंग्रेज़ी पोर्टल मुस्लिम मिरर ने मारे गए लोगों के परीवार वालों से बात की और उन सभी का कहना है कि वे बिल्कुल अकेले खड़े हैं। कोई उंगली पकड़ने नहीं आया। हमारे बच्चे विरोध करने गए और पुलिस की गोलीयों का निशाना बन गए। कोई किसी काम से घर से निकला और पुलिस फायरिंग में मारा गया। उनमें से कुछ ने इन संगठनों और नेताओं के आधिकारिक नाम भी लिए। हालांकि “रोज़नामा ख़बरें” इन आरोपों की पुष्टि नहीं करता, लेकिन यह बात चौंकाने वाली है।