(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक दिवसीय काशी यात्रा और उनके भाषण में औरंगजेब सालार मसूद शिवाजी और राजा सुहेलदेव वगैरा का विशेष तौर से नाम लेने का मतलब बहुत साफ है कि यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव का एजेंडा क्या होगा। विकास और हिंदुत्व से जो पॉलिटिकल कॉकटेल तैयार किया गया गया है बेरोजगारी महंगाई महिलाओं के खिलाफ अत्याचार जैसे मुद्दे हवा हो जाएंगे ।करुणा में उत्तर प्रदेश की जनता ने जो दुख झेला है उसे हिंदुत्व के मरहम से ठंडक पहुंचाई जाएगी हिंदू मुस्लिम नफरत और पुरानी ऐतिहासिक कहानियों को दोहरा कर हिंदू रेडिकल तत्वों को जोश दिलाने का प्रयास किया जाएगा इसका मतलब यह भी है योगी सरकार ने कोई ऐसा काम नहीं किया है जो जनता के सामने पेश करके वोट लिया जाए “दैनिक अमर उजाला” ने प्रधानमंत्री के काशी में दिए गए भाषण का विश्लेषण किया है उसमें जो निष्कर्ष निकाला गया है उनसे जरूरी नहीं है की इत्तेफाक किया जाए लेकिन वह तस्वीर का एक रंग जरूर दिखाता है। पाठकों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि मेंस्ट्रीम मीडिया इस तरह और क्या सोच रहा हे। अमर उजाला के शुक्रिया के साथ उसे यहां दिया जा रहा है।)
औरंगजेब, सालार मसूद, शिवाजी, राजा सुहेलदेव और वारेन हेस्टिंग्स। ये वे पांच नाम हैं जिनका काशी की धरती से प्रधानमंत्री मोदी ने जब नाम लिया, तो उन्होंने उत्तर प्रदेश की एक बड़ी आबादी को न सिर्फ साधने की कोशिश की बल्कि हिंदुओं को एकजुट होने का संदेश भी दे डाला। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जिन पांच नामों का प्रधानमंत्री मोदी ने जिक्र किया, उससे उत्तर प्रदेश की राजनीति की हवा बदलने वाली है। वहीं भाजपा सूत्रों के मुताबिक आने वाली चुनावी रैलियों में अब इस तरीके के नाम और हिंदुओं को खुलकर एक साथ होने के संदेश स्पष्ट तौर पर सुनाई देंगे। वहीं दूसरी तरफ, काशी में अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की बड़ी बैठक कर प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में बड़ा संदेश देने की कोशिश भी कर रहे हैं।
हिंदुओं को एकजुट होने का संदेश
जैसा पहले से अनुमान था ठीक वैसा ही हुआ। प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के दौरान अपने भाषण से एक साथ कई निशाने साध लिए। राजनीतिक विश्लेषक एसएन चतुर्वेदी कहते हैं, प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरीके से मुगल आक्रमणकारी औरंगजेब का जिक्र किया और उसके बाद हिंदू सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज का जिक्र किया, उससे हिंदुओं को एकजुट होने का स्पष्ट संदेश दिया गया। चतुर्वेदी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बखूबी अंदाजा होता है कि वह कहां पर क्या बोलते हैं और उसके मायने क्या निकलते हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ औरंगजेब ही नहीं बल्कि अत्याचारी सालार मसूद का जिक्र करके भी हिंदुओं को एकजुट होने का संदेश दिया। वह कहते हैं कि जिस तरीके से राजा सुहेलदेव का सालार मसूद के परिपेक्ष में जिक्र किया गया वह सिर्फ पूर्वांचल की राजनीति को ही नहीं साधता है, बल्कि उनकी हिंदुत्ववादी सोच के साथ-साथ हिंदुओं को एकजुट होने का स्पष्ट संदेश भी देता है।
चतुर्वेदी के मुताबिक, सालार मसूद ने जिस तरीके से हिंदुओं पर अत्याचार करके और मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें खड़ी की थीं, इस लिहाज से सालार मसूद का नाम प्रधानमंत्री के भाषण में बहुत मायने रखता है। उनके भाषण का बारीकी से अध्ययन करने के बाद प्रोफेसर चतुर्वेदी कहते हैं कि जिस तरीके से सुहेलदेव का जिक्र करके पूर्वांचल में प्रधानमंत्री मोदी ने राजभर वोटों को साधने की कोशिश की है, वह कई मायने में अहम है। उनका कहना है कि सुहेलदेव के नाम पर पार्टी चलाने वाले ओमप्रकाश राजभर इस बार भाजपा से अलग होकर सपा के साथ गठबंधन में हैं। भाजपा को अंदाजा है कि इस गठबंधन से उन्हें कुछ नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से राजा सुहेलदेव का जिक्र कर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की है।
इसी तरीके से अंग्रेजों के दौर में वारेन हेस्टिंग्स ने जिस तरीके से अत्याचार किया, उसका काशी के लोगों ने किस तरीके से डटकर मुकाबला किया और उसे भागने पर मजबूर कर दिया। चतुर्वेदी कहते हैं यह वह नाम है जिसमें संदेश छिपा हुआ है कि उनके ऊपर अत्याचार करने वाले बहुत ज्यादा दिनों तक टिकते नहीं हैं, बल्कि उन्हें भागना ही पड़ता है। वह भाषण का सारा सार यही निकालते हैं कि हिंदुओं को एकजुट होने का समग्र संदेश ही मोदी के संबोधनों में शामिल था।
भाषणों से माहौल बना देते हैं प्रधानमंत्री
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन न सिर्फ मेगा इवेंट बना बल्कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव से पहले अपनी सबसे बड़ी ताकत के तौर पर भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों समेत बड़े-बड़े केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों तक को काशी बुला लिया। चुनावी माहौल को और तेज हवा देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ न सिर्फ मंगलवार को बड़ी बैठक तय की, बल्कि चुनाव की रणनीति और अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ समग्र विकास के एजेंडे पर भी बात करने के लिए माहौल बनाया। राजनीतिक विश्लेषक उमेश चंद्र जोशी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यही खूबी है कि वह न सिर्फ भाषण बल्कि माहौल से भी रंग जमा देते हैं। उन्होंने कहा चुनावी दौर में तो प्रधानमंत्री के भाषणों के इतने मायने सेट हो जाते हैं और उसके बाद उनकी पार्टी उन मायनों को जन-जन तक पहुंचा कर राजनीतिक लाभ भी लेती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं प्रधानमंत्री ने भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों को काशी बुलाकर मंगलवार को समग्र विकास के एजेंडे पर बैठक तय की। चुनावी दौर में इस तरीके की बैठक यूपी और यहां की जनता के लिए बड़ा संदेश देती है। उक्त भाजपा नेता के मुताबिक संदेश बिल्कुल स्पष्ट होता है कि प्रदेश में होने वाले विकास और यहां पर हुए इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट से न सिर्फ सीख ली जाए बल्कि उसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाए। पार्टी के नेताओं के मुताबिक यह संदेश लोगों में प्रदेश की बनी हुई साफ और बेहतर छवि को दिखाता है। पार्टी नेतृत्व भी यही संदेश देना चाहता है कि वह चुनाव हिंदू और हिंदुत्व के नाम पर नहीं बल्कि विकास के नाम पर ही लड़ते हैं।
विकास के नाम पर मांगे जाएंगे वोट
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में होने वाली रैलियों और कार्यक्रमों समेत जनसभाओं में अपनी विरासत और संस्कृति को बचाने और बढ़ाने का खुलकर जिक्र किया जाएगा। वह कहते हैं ऐसा करना इसलिए भी लाजमी है क्योंकि यही सबसे मुफीद वक्त है, जब हम अपनी संस्कृति को बचाकर आगे बढ़ा सकते हैं। भाजपा की चुनाव प्रचार समिति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कई बिंदुओं पर चीजें तय की गई हैं जिन्हें अधिसूचना जारी होने के साथ लागू भी कर दिया जाएगा। उनका कहना है कि भाजपा विकास करती है और विकास के नाम पर ही वोट मांगे जाएंगे। लेकिन अपनी संस्कृति अपनी सनातन परंपरा और विरासत को बचाने का सभी को अधिकार है। इसीलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पार्टी की विचारधारा पहुंचे, इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारियां भी की जा रही हैं।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि मुस्लिम आक्रांताओं का छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराजा सुहेलदेव ने न सिर्फ डटकर मुकाबला किया बल्कि अपने देश की अस्मिता को भी बचाया है। त्रिपाठी के मुताबिक हमें अपनी अस्मिता, अपनी धरोहर और अपनी सनातन परंपरा को बचाने के साथ-साथ आगे बढ़ाने और लोगों से साझा करने का अधिकार है। वह कहते हैं देश के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की अगुवाई में सनातन परंपरा और अपनी मंदिरों की पहचान को बचाने और उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसमें किसी भी तरीके के कोई राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए। क्योंकि यह सब हमारी आस्था है और हमें अपनी आस्था को बचाने और उसे आगे बढ़ाने का पूरा अधिकार है।
साभार : अमर उजाला