एक महीने के अंदर ही बांग्लादेश में ऐसे घटनाक्रम हुए, जिससे नई सरकार का भारत विरोधी एजेंडा साफ हो गया. हालांकि इसके बावजूद पड़ोसी देश को भारत से खैरात भी चाहिए.
बांग्लादेश नहीं चाहता कि भारत के फंड
से उनके देश में चल रहे किसी भी प्रोजेक्ट पर कोई आंच आए. ऐसा हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि बांग्लादेश की फाइनेंस मिनिस्ट्री के एडवाइजर की तरफ से यह स्टेटमेंट जारी किया गया है. बांग्लादेश मीडिया से बात करते हुए अंतरिम सरकार के फाइनेंस एडवाइजर सालेहुद्दीन अहमद ने कहा कि भारत द्वारा फंड की गई परियोजनाएं हमारे लिए बहुत जरूरी हैं. बांग्लादेश में नए प्रशासन के तहत भी यह प्रोजेक्ट चलते रहेंगे. कहा गया कि इंडियन हाई कमीशन चीफ प्रणय वर्मा के साथ बांग्लादेश अपनी बैठक में बढ़े हुए सहयोग की उम्मीद करता है.
भारत से और प्रोजेक्ट चाहिए
सालेहुद्दीन अहमद ने कहा, “पहले से ही, भारत से हमारे पास जो परियोजनाएं हैं, वे बेहद बड़ी हैं और हम उन्हें जारी रखेंगे क्योंकि वे छोटी परियोजनाएं नहीं हैं और हम अपने फायदे के लिए एक और बड़ी परियोजना लेंगे. हम जो कुछ भी हासिल कर चुके हैं, उस पर नहीं रुकेंगे और हम उन परियोजनाओं के बारे में बात करेंगे. परियोजनाओं के फंड और उनके लागू करने के बारे में भी बात करेंगे.” बांग्लादेश भले ही भारत से आर्थिक मदद मांग रहा हो लेकिन उसकी करनी और कथनी में बड़ा अंतर है.
शेख हसीना की सरकार के समय में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते ऊंचाईयों पर थे. जी20 के वक्त पीएम मोदी ने खुद वर्ल्ड लीडर्स से शेख हसीना को मिलवाया. अब हसीना की सरकार जाने के एक महीने के अंदर ही बांग्लादेश भारत को तीन बार आंख दिखा चुका है. सबसे पहले मानसून के सीजन में बांग्लादेश ने भारत पर नदी में ज्यादा पानी छोड़कर उन्हें डुबाने का आरोप लगाया. इससे भी काम नहीं बना तो फिर बांग्लादेश ने बॉर्डर पर बीएसएफ को निशाना बनाया. अवैध तरीके से दो अलग-अलग घटनाओं में भारत में घुसने की कोशिश कर रही एक बच्ची और अन्य शख्स को बीएसएफ ने गोली मार दी थी. बांग्लादेश ने इसपर औपचारिक तौर पर विरोध जताया. इसके बाद बांग्लादेश के चीफ प्रॉसिक्यूटर ने तो सारी हदें पार करते हुए यहां तक कह दिया कि शेख हसीना को वापस लाने के लिए वो अंतरराष्ट्रीय अदालत जाएंगे(.नियूज१८)