Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

राहुल क्या हिंदुत्व के समानांतर कांग्रेस की नई विचारधारा खड़ी कर पाएंगे?

RK News by RK News
July 25, 2025
Reading Time: 1 min read
0

दो शब्द: आशुतोष

RELATED POSTS

आखिरकार चंद्रचूड़ ने हिंदुत्व के प्रति अपनी निष्ठा साबित कर दी…

बिहार चुनाव 2025:इस बार मुसलमान नितीश बाबू के “अरमान”पूरे करेंगे?

मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी, इक्का-दुक्का आवाज़ें,हर तरफ सन्नाटा!

कांग्रेस पार्टी को एक नये पुनर्जन्म की तलाश है । वो समझ गई है कि पुराने ढर्रे और पुराने छर्रों से पार्टी अपने पुराने वैभव को नहीं पा सकती है । उसे कुछ नया करना पड़ेगा । कुछ नया बुनना पडेगा । राजनीति के नये धागे और नये लिबास बनाने पड़ेंगे। और इस बात को कांग्रेस में सबसे ज्यादा राहुल गांधी समझते हैं । ये अलग बात है कि आज के वातावरण में राहुल की चर्चा फैशनेबल नहीं है । हकीकत ये है कि राहुल कांग्रेस का डीएनए बदल रहे हैं और बीजेपी के हिंदुत्व के समानांतर विचारधारा की नई इमारत खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं । 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी इस कोशिश की एक झलक भी दिखी और परिणाम भी।
राहुल को ये बात समझ में आ गई है कि बीजेपी कोई सामान्य पार्टी नहीं है और न ही नरेंद्र मोदी सामान्य नेता । बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत उसकी विचारधारा है । और उस विचारधारा से जुड़े लाखों कार्यकर्ता जिनका सपना है कि एक दिन हिंदू राष्ट्र बनेगा । 2014 के बाद हिंदुत्व की साख को बड़ा बल मिला है । 2014 से 2019 तक राहुल के मन में ये स्पष्टता नहीं थे। वो बीजेपी को दूसरी पार्टियों की तरह ही आंक रहे थे । लेकिन हार ने उनकी आँखें खोली और समझ में आया कि मोदी की जगह आरएसएस की विचारधारा से उन्हें लड़ना होगा और इसके लिये हिंदुत्व पर न केवल हमले करने होंगे बल्कि उसके बरक्स एक नई विचारधारा खड़ी करनी होगी । भारत जोड़ो यात्रा इस स्वीकारोक्ति की पहली झलक थी । उसके बाद कर्नाटक विधानसभा चुनाव से जाति जनगणना की आक्रामक मांग, इसकी अगली कड़ी थी । अब की बार चार सौ पारे के नारे ने तीसरे कोण को जोड़ दिया ।
राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से ये साफ कर दिया कि बीजेपी का हिंदुत्व विभाजनकारी और अल्पसंख्यक विरोधी है और इस का सामना मंदिर मंदिर जाकर नहीं किया जा सकता । लोगों के बीच जाकर ये बताना होगा कि ये देश धर्मनिरपेक्ष है जहां किसी एक धर्म की प्रधानता नहीं हो सकती । हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी साथ साथ रहते आये है और आगे भी साथ ही रहेंगे । किसी भी धर्म के खिलाफ नफ़रत फैलाना न तो संवैधानिक तौर पर नैतिक है और नही देश हित में है।जाति जनगणना कांग्रेस के लिये बिल्कुल नई चीज थी । कांग्रेस ने कभी भी साफ़तौर पर पिछड़ों और दलितों के समाजिक न्याय की लड़ाई नही लड़ी थी । बाबा साहेब आंबेडकर और राम मनोहर लोहिया ने सामाजिक न्याय की लड़ाई को वैचारिक आधार दिया तो कांशीराम, वी पी सिंह, मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, राम विलास पासवान, शरद यादव, नीतीश कुमार और मायावती ने इस लड़ाई को चुनावी रणनीति में बदला । ये सुनिश्चित किया कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हिंदुत्ववादी ताक़तें राजनीति की मुख्य धारा न बन पाये । कांग्रेस इस दौरान उहापोह में रही । न तो वो मंडल कमीशन पर कोई साफ लाइन ले पाई और न ही रामजन्मभूमि आंदोलन पर । लिहाजा वो यूपी और बिहार में सिमट गई और केंद्र की सत्ता में कमजोर हो गई।
नरेंद्र मोदी की कामयाबी इस बात में है उन्हें हिंदुत्व की ताकत और ऊर्जा पर कभी भी संदेह नहीं था । वाजपेयी और आडवाणी के बावजूद वो हिंदुत्व पर मजबूती से चलते रहे और तीन बार गुजरात का चुनाव जीता । केंद्र में भी उनका यही फ़ार्मूला काम आया । मोदी ने सामाजिक न्याय की लड़ाई का हि्दुत्वीकरण करने की कोशिश की और काफ़ी हद तक कामयाब रहे । लेकिन वो कभी भी मुलायम, लालू और मायावती की तरह सामाजिक न्याय को अपना जीवन दर्शन नही बना सकते क्योंकि उनकी प्राणवायु हिंदुत्व है । उनके लिये मंडल की राजनीति केक पर टापिंग की तरह है ।
ये बात 2024 आते आते साफ भी हो गई और बीजेपी और मोदी ने राहुल के जाति जनगणना को देश के लिये घातक बताया क्योंकि जाति जनगणना आरएसएस के हिंदू एकता प्रोजेक्ट के खिंलाफ है । उधर राहुल को समझ में आ गया था कि सामाजिक न्याय की लड़ाई दरअसल हिंदू समाज के 84% से जुड़ती है । और अगर कांग्रेस पार्टी ओबीसी और दलित तबके को अपनी तरफ़ आकर्षित करने में कामयाब हो जाये तो न केवल वो बीजेपी को पटकनी दे सकती है लेकिन एक मज़बूत सामाजिक आधार के साथ केंद्र की सत्ता में मजबूती से आ सकती है ।
2024 के चुनाव में बीजेपी ने “अब की बार चार सौ पार”  का नारा दे बड़ी गलती की । बीजेपी के कुछ नेताओं ने संविधान बदलाव की बात कर राहुल को नया हथियार दे दिया और नई विचारधारा के गठन में एक नया अवयव जुड़ गया । संविधान बचाओ का नारा सिर्फ संविधान बचाने के लिये नहीं था ये नारा दलितों की पहचान और अस्मिता से जुड़ गया । दलित समाज जिसे भारतीय इतिहास में कभी भी बराबरी का दर्जा नहीं मिला था, उसे बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान ने पहली बार बराबरी का अधिकार दिया। संविधान के जरिये ये भारतीय समाज में एक मूक क्रांति थी। दलित चेतना में विस्फोट हुआ।

चार सौ पार के नारे ने दलितों के विश्वास को हिला दिया । यही कारण था कि यूपी औप महाराष्ट्र जो दलित चेतना के दो बड़े स्तंभ हैं, वहाँ बीजेपी को भारी नुक़सान का सामना करना पड़ा । यहाँ तक की प्रधानमंत्री मोदी का ये कहना भी काम नहीं आया कि बाबा साहेब आंबेडकर भी आ जाये तो संविधान नही बदल सकते । राहुल का संविधान की कापी लेकर निकलना और रैलियों में दिखाना काम आया ।o
राहुल जिस वैचारिक इमारत को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, उसके तीन महत्वपूर्ण अवयव और सामाजिक आधार स्पष्ट हैं । भारत जोड़ो से निकला धर्मनिरपेक्षता यानी सेकुलरिज्म, जाति जनगणना से सामाजिक न्याय और संविधान बचाओ से दलित चेतना । इन तीन चेतनाओं के पीछे मजबूती से खड़ा है हिंदुस्तान का अल्पसंख्यक, ओबीसी और दलित । ये कुल मिलाकर होते हैं देश की आबादी का 80% से 85% । लेकिन इस लड़ाई में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और तेजस्वी यादव की आरजेडी बराबरी की साझीदार है।
ऐसे में ये महज़ इत्तेफाक नहीं है कि लोकसभा चुनाव के बाद भी राहुल और कांग्रेस आंबेडकरवादियों के बीच में जा रहे हैं और उनके साथ संविधान बचाने के मुद्दे पर वार्ता कर रहे हैं । बीजेपी को इस बात का एहसास है कि जाति जनगणना जैसे मुद्दे को लंबे समय तक नजरंदाज नहीं किया जा सकता है । इसलिये विचारधारा से समझौता करते हुए मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने को हामी  भरी । वो जानते हैं कि राहुल को भले ही कितना भी बदनाम करो लेकिन जाति जनगणना का जो सवाल वो लगातार उठा रहे हैं वो बीजेपी को अंततः नुक़सान पहुँचायेगी।
इसका ये मतलब क़तई नहीं है कि कांग्रेस का अचानक कायांतरण (Transformation) हो जायेगा और एक बड़ा सामाजिक आधार आ कर जुड़ जायेगा । ये एक शुरूआत है । अभी सिर्फ नींव में पत्थर पड़े है और एक छोटी दीवार खड़ी हुई है । इमारत बनने में अभी काफ़ी फ़ासला है। अभी राहुल और कांग्रेस को बड़े पैमाने पर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों से जुड़ने के लिये असाधारण मेहनत करनी होगी।

बीजेपी जैसी पार्टी, मोदी जैसा नेतृत्व और आरएसएस जैसी विचारधारा इतनी आसानी से जमीन नहीं छोड़ेंगे । आने वाले दिनों में लड़ाई और दिलचस्प होगी । दलित और पिछड़ों की चेतना को अपना बनाने की कोशिश बीजेपी का हिंदुत्ववाद भी करेगा और कांग्रेस का सेकुलरवाद भी । और इसके बीच से ही निकलेगी एक नई धारा। आभार: सत्य हिंदी

Tags: ashutoshcongresshindutv politicsnew ideologyRahul GandhiRSS
ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

आखिरकार चंद्रचूड़ ने हिंदुत्व के प्रति अपनी निष्ठा साबित कर दी…

October 9, 2025
विचार

बिहार चुनाव 2025:इस बार मुसलमान नितीश बाबू के “अरमान”पूरे करेंगे?

October 3, 2025
विचार

मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी, इक्का-दुक्का आवाज़ें,हर तरफ सन्नाटा!

October 1, 2025
विचार

फिलस्तीन पर ज़ुल्मःभारत की खामोशी तटस्थता नहीं है•=सोनिया गांधी का विशेष लेख

September 25, 2025
विचार

भारत को UAPA के खिलाफ एक जन आंदोलन की जरूरत है

September 20, 2025
विचार

क्या क़तर ने हमास को धोखा दिया? इज़रायली हमले के पीछे 3 theories

September 12, 2025
Next Post

हम मर रहे हैं’: गाजा में भूख से तबाही के बीच फिलिस्तीनियों ने दुनिया की निष्क्रियता की आलोचना की

देशभक्त बनिए, यहां के मुद्दे उठाए..’, गाजा मामले में HC की लेफ्ट पार्टी को नसीहत?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

राहुल ने कहा: RSS बीजेपी जनता को अब तक गुमराह करते रहेंगे

राहुल ने कहा: RSS बीजेपी जनता को अब तक गुमराह करते रहेंगे

October 17, 2022

गठबंधन की सरकार लोगों को हर महीने 10 किलो अनाज देगीः खरगे

May 15, 2024
गुजरात चुनाव : पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान जारी

गुजरात चुनाव : पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान जारी

December 1, 2022

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • बिहार: महागठबंधन में फूट! इन 8 सीटों पर “friendly figh”होगी
  • हिंसा,मॉब-लिंचिंग और गौरक्षकों पर तहसीन पूनावाला दिशानिर्देशों की उपेक्षा निंदनीय :मौलाना महमूद मदनी
  • छत्तीसगढ़ में भी “अवैध”धर्मांतरण के खिलाफ“कठोर”विधेयक लाने का बीजेपी सरकार का फैसला

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi