नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह बैन अगले पांच साल तक के लिए लगाया गया है।
मोदी सरकार का मानना है कि पीएफआई भारत में गुप्त एजेंडा चलाकर एक वर्ग विशेष को कट्टर बना रहा था है। साथ ही उसके संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से भी हैं।
गृह मंत्रालय के अधिसूचना में पीएफआई के अलावा उसके सहयोगी रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल वुमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन केरल का नाम भी शामिल हैं। इन सभी संगठनों/संस्थाओं को भी अगले पांच साल के लिए अवैध घोषित कर दिया गया है।
पहले से कितने संस्थानों पर है प्रतिबंध?
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 35 के तहत 30 मार्च 2015 तक 39 संगठन/संस्थान और उनकी शाखाएं प्रतिबंधित थीं। उनके नाम इस प्रकार हैं।
1.बब्बर खालसा इंटरनेशनल
2.खालिस्तान कमांडो फोर्स
3.खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स
4.इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन
5.लश्कर-ए-तैयबा/पासबन-ए-अहले हदीस
6.जैश-ए-मोहम्मद / तहरीक-ए-फुरकानी
7.हरकत-उल-मुजाहिदीन/ हरकत-उल-अंसार/ हरकत-उल-जेहाद-ए-इस्लामी
8.हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन/हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन पीर पंजाल रेजिमेंट
9.अल-उमर-मुजाहिदीन
10.जम्मू और कश्मीर इस्लामिक फ्रंट
11.यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा)
12.असम का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी)
13.पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए)
14.यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ)
15.पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपाक (PREPAK)
16.कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी)
17.कंगलेई याओल कंबा लुप (केवाईकेएल)
18.मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (एमपीएलएफ)
19.ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स20.नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा
21.लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE)
22.स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया
23.दीनदार अंजुमन
24.कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट-लेनिनिस्ट)–पीपुल्स वॉर और इससे जुड़े सभी संगठन
25.माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) और इससे जुड़े सभी संगठन
26.अल बदर
27.जमात-उल-मुजाहिद्दीन
28.अल-कायदा
29.दुख्तारन-ए-मिल्लत (डीईएम)
30.तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी (TNLA)
31.तमिल नेशनल रिट्रीवल ट्रूप्स (TNRT)
32.अखिल भारत नेपाली एकता समाज (ABNES)
33.साल 2007 में संयुक्त राष्ट्र (सुरक्षा परिषद) अधिनियम, 1947 की धारा 2 के तहत प्रतिबंधित सभी संगठन भी भारत में बैन हैं।
34.कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओस्ट) और इससे जुड़े सभी संगठन
35.इंडियन मुजाहिदीन और इससे जुड़े सभी संगठन
36.गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (GNLA) और इससे जुड़े सभी संगठन
37.कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन और इससे जुड़े सभी संगठन
38.इस्लामिक स्टेट/इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवंट/इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया/दाएश और इनसे जुड़े सभी संगठन
39.नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खापलांग), एनएससीएन (के) और इनसे जुड़े सभी संगठनसोर्स- केंद्रीय गृह मंत्रालय PFI पर लगाई गई है अलग धारा
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके सहगोगी सगंठनों/संस्थानों को UAPA, 1967 की धारा 3 की उप-धारा (1) के तहत प्रतिबंधित किया गया गय है। जबकि उपरोक्त संगठनों को UAPA, 1967 की धारा 35 के तहत प्रतिंबधित किया गया है। PFI और उसके सहगोगी सगंठनों/संस्थानों को फिलहाल पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है, जबकि उपरोक्त संगठनों पर आए दिन प्रतिबंध बढ़ाए जाते हैं।
पीएफआई पर क्यों लगा बैन?
केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना में PFI का संबंध बांग्लादेश और भारत के दो ऐसे संगठनों से बताया गया है, जिन पर पहले से प्रतिबंध है। आइए 10 प्वाइंट्स में समझे बैन का कारण:
1. PFI और उससे संबद्ध संस्थाएं गुप्त एजेंडा चलाकर समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाने का काम कर रही थीं।
2. PFI लोकतंत्र को कमजोर करने की दिशा में काम करता है।
3. PFI का कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल होन का इतिहास रहा है।
4. PFI संविधान से प्राप्त अधिकारों का गलत इस्तेमाल करता है।
5. PFI विदेशों से फंडिंग लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है।
6. PFI का संबंध बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन से रहा है
7. PFI के कुछ संस्थापक सदस्य प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया से जुड़े रहे हैं।
8. PFI के वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संपर्क के कई साक्ष्य मिले हैं।
9. PFI के कुछ सदस्य दुर्दांत आतंकवादी संगठन ISIS में शामिल हो चुके हैं।
10. विश्व के कई आतंकवादी हमलों से PFI के सदस्यों का नाम जुड़ा है।