भारत बनाम इंडिया की चर्चा नई नहीं है. हाल तक यह भाजपा ही रही है जो भारत के ऊपर इंडिया के इस्तेमाल का जश्न मनाती रही है. लालकृष्ण आडवाणी ने हमें यह कहकर कि भारत चमक रहा है, अपनी पार्टी को आम चुनाव हरा दिया. नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया और कई अन्य कार्यक्रम लॉन्च किए जिनमें भारत के बजाय इंडिया का इस्तेमाल किया गया.
यह कांग्रेस शासन ही है जिसने भारत नाम से सार्वजनिक क्षेत्र के निगम शुरू किए: बीएचईएल, बीईएमएल, बीपीसीएल, बीडीएल आदि. राजीव गांधी आडवाणी की इंडिया शाइनिंग से पहले मेरा भारत महान की शुरुआत कर चुके थे. और अभी हाल ही में राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले थे.
और फिर भी, सोशल मीडिया आधे-अधूरेपन से भरा है जो हमें बताता है कि भारत हमारे देश का असली नाम है और इंडिया हमें अंग्रेजों द्वारा दिया गया नाम है.
निःसंदेह, यह बकवास है. इंडिया नाम उस समय से चला आ रहा है जब अंग्रेज पेड़ों पर रहते थे. यह हजारों साल पहले की बात है जब भारत के लोगों को सिंधु नदी के पास रहने वाले लोगों के रूप में जाना जाता था, जिसे सिंधु कहा जाता था, जिसके कारण हमारे लोग हिंदू कहलाए. उसी वजह से हमें इंडिया नाम मिला. हज़ारों साल पहले, टॉलेमी के मानचित्र में हमारे देश को इंडिया कहा गया था और सिकंदर महान को इसमें कोई संदेह नहीं था कि वह इंडिया की ओर जा रहा था.
तो, इसमें अंग्रेजों को क्यों घसीटा जाए? यदि आरएसएस सिकंदर महान की विरासत से मुक्ति चाहता है और हमारे ऊपर ज़ीउस, अपोलो और एफ्रोडाइट जैसे यूनानी देवताओं के हानिकारक प्रभाव को समाप्त करना चाहता है तो हां, भारत की मांग कुछ हद तक समझ में आ सकती है. वरना इंडिया नाम हिंदू गौरव का अपमान नहीं है.