नई दिल्ली: उत्तरी अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया में नए संविधान को लेकर तैयारियां चल रही हैं, इसके लिए बाकायदा मसौदा तैयार कर लिया गया है, जिसके बाद अब राष्ट्रपति कैस सैयद ने कहा कि नए संविधान में ट्यूनीशिया का राजकीय धर्म इस्लाम नहीं रहेगा।
आज तक के अनुसार बता दें कि ट्यूनीशिया में 25 जुलाई को जनमत संग्रह होने जा रहा है, राष्ट्रपति सैयद ने कहा कि हम एक ऐसे स्टेट की बात नहीं कर रहे हैं जिसका धर्म इस्लाम है लेकिन हम एक राष्ट्र की बात करेंगे जिसका धर्म इस्लाम है और नेशन, स्टेट से अलग होता है।
सैयद कहना चाह रहे हैं कि ट्यूनीशिया का कोई राजकीय धर्म नहीं होगा लेकिन एक राष्ट्र के तौर पर धर्म इस्लाम है।
सैयद इसे ट्यूनीशिया में राजनीतिक व्यवस्था में सुधार लाने की दिशा में एक कदम बता रहे हैं, हालांकि, उनके इस कदम को प्रतिद्वंद्वी इस्लामिस्ट पार्टियों को कमजोर करने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा रहा है।
ट्यूनीशिया में नए संविधान का मसौदा तैयार करने वाले नेशनल कंसल्टेटिव कमिशन के समन्वयक सादेक बेलैद ने समाचार एजेंसी एएफपी को एक इंटरव्यू में कहा था कि वह इस्लामिक पार्टियों को चुनौती देने के लिए संविधान के नए मसौदे से इस्लाम से जुड़े सभी संदर्भ हटा रहे हैं।
उन्होंने कहा था कि वह राष्ट्रपति सैयद को जो मसौदा सौंपेगे, उसमें ऐसा कोई संकेत नहीं होगा जिससे लगे कि ट्यूनीशिया का स्टेट रिलीजन इस्लाम है।
सैयद को सोमवार को नए संविधान का मसौदा सौंपा गया और ऐसी संभावना है कि वह 25 जुलाई को होने वाले जनमत संग्रह से पहले इसे मंजूरी दे सकते हैं।
बता दें कि एक साल पहले 25 जुलाई को ही राष्ट्रपति ने ट्यूनीशिया में सभी कार्यकारी शक्तियों को नियंत्रित करने का आदेश दिया था।