Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

भारतीय राजनीति में बढ़ता धार्मिकीकरण

RK News by RK News
December 21, 2021
Reading Time: 1 min read
0

लेखक : चारु कार्तिकेय

RELATED POSTS

आखिरकार चंद्रचूड़ ने हिंदुत्व के प्रति अपनी निष्ठा साबित कर दी…

बिहार चुनाव 2025:इस बार मुसलमान नितीश बाबू के “अरमान”पूरे करेंगे?

मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी, इक्का-दुक्का आवाज़ें,हर तरफ सन्नाटा!

सत्तापक्ष हो या विपक्ष, भारतीय राजनीति में जिधर देखिए धर्म की ही बात हो रही है. पूरे देश में टीवी पर प्रधानमंत्री को पूजा-अर्चना करते दिखाया जा रहा है और उन्हें चुनौती देने वाले खुद को उनसे भी बड़ा धर्म-रक्षक बताने की कोशिश में लगे हुए लगे हैं.

राहुल गांधी चीख चीख कर अपने हिंदू होने का प्रमाण देने की कोशिश कर रहे हैं. अखिलेश यादव काशी गलियारे की परिकल्पना का सहरा अपने सिर बांधने की कोशिश कर रहे हैं.
उधर अगले लोक सभा चुनावों में विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा बनने की कोशिश में लगीं ममता बनर्जी ने तो अपनी पार्टी टीएमसी का मतलब “टेम्पल, मस्जिद, चर्च” बता कर पार्टी के पूरे अस्तित्व को ही धर्म के खूंटे से गाड़ दिया है.

स्पष्ट है कि जहां बीजेपी धर्म के रास्ते ही चुनावी राजनीति पर अपनी पकड़ को और मजबूत बनाना चाह रही है, वहीं विपक्षी पार्टियों को भी लग रहा है कि बीजेपी को हरा कर सत्ता के दरवाजे के ताले को खोलने की कुंजी भी धर्म ही है.

सत्तापक्ष हो या विपक्ष, भारतीय राजनीति में जिधर देखिए धर्म की ही बात हो रही है. पूरे देश में टीवी पर प्रधानमंत्री को पूजा-अर्चना करते दिखाया जा रहा है और उन्हें चुनौती देने वाले खुद को उनसे भी बड़ा धर्म-रक्षक बताने की कोशिश में लगे हुए लगे हैं.

जरा याद कीजिए

देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की घोषित प्राथमिकताओं को देख कर लगता ही नहीं कि देश में जनहित के लिए कोई और विषय आवश्यक है. यह वही देश है जो विकास के अधिकतर पैमानों पर अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है. यहां 20 प्रतिशत से ज्यादा आबादी अभी भी अशिक्षित है. 25 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे है. अमीरों-गरीबों के बीच की खाई का मुंह और फैलता ही चला जा रहा है. यह वही देश है जो अभी अभी महामारी की एक ऐसी लहर से निकला है जिसने पूरे देश को जैसे एक विशाल श्मशान घाट में बदल दिया था. शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जिसके परिवार, संबंधियों, दोस्तों या परिचितों में से किसी के घर को भी मौत छू कर ना गई हो.

अपने प्रियजनों की मौत और उनके अंतिम दर्शन तक ना कर पाने के अफसोस का बोझ अपने अपने दिलों पर लिए लोग क्या इतनी जल्दी उस त्रासदी को भूल गए हैं?

प्राथमिकता क्या है

सत्ताधारी तो चाहेंगे ही कि लोग यह सब भूल जाएं. वो चाहेंगे कि जनता यह भी भूल जाएं कि देश की अर्थव्यवस्था जिस तरफ जा रही है वो एक अलग ही त्रासदी है. पहले से ही विकास की रफ्तार खो रही अर्थव्यवस्था महामारी के इन दो सालों में चरमरा गई है.
इतिहास में पहली बार अर्थव्यवस्था बढ़ने की जगह सिकुड़ रही है. धनी परिवार इस झटके को झेल सकते हैं लेकिन गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए खतरे की घंटी है. हाल के दशकों में जो करोड़ों लोग धीरे धीरे गरीबी से निकल पाए वो गरीबी की चपेट में वापस जा चुके हैं. पिछले कम से कम 12 सालों में ऐसी महंगाई नहीं देखी गई. बेरोजगारी दर ने 45 सालों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.

राजनीतिक तमाशों के परे देखेंगे तो समझ में आएगा कि देश इस समय किन हालात में है. इस समय देश को एक ऐसी राजनीति की जरूरत है जो बताए कि करोड़ों लोगों को रोजगार कैसे मिलेगा, घरों में चूल्हा कैसे जलेगा, बच्चे स्कूलों में कैसे पहुंचेंगे, अस्पताल, डॉक्टरों और अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या कैसे बढ़ेगी? ऑक्सीजन जैसी मूलभूत चीज की कमी कैसे दूर होगी? अस्तित्व के लिए जरूरी ऐसे सवाल हमारे सामने खड़े हैं. ऐसे में, क्या सबसे ज्यादा चिंता इस बात की होनी चाहिए कि कौन सा मंदिर कहां और कब बनेगा? जनता किसे चुनना चाहती है वो चुनावों में बता सकती है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के पास अपनी प्राथमिकताओं को दिखाने का मौका चुनाव के पहले ही उपलब्ध रहता है. इस समय ऐसा लग रहा है कि वो अपनी प्राथमिकताएं तय कर चुकी हैं. और उसमें फिलहाल आम लोगों की जिंदगियों को बेहतर बनाने के प्रयासों की कोई जगह नहीं दिखती.

साभार : डी हिंदी

Tags: CommunalismIndian PoliticsVote Bank
ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

आखिरकार चंद्रचूड़ ने हिंदुत्व के प्रति अपनी निष्ठा साबित कर दी…

October 9, 2025
विचार

बिहार चुनाव 2025:इस बार मुसलमान नितीश बाबू के “अरमान”पूरे करेंगे?

October 3, 2025
विचार

मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी, इक्का-दुक्का आवाज़ें,हर तरफ सन्नाटा!

October 1, 2025
विचार

फिलस्तीन पर ज़ुल्मःभारत की खामोशी तटस्थता नहीं है•=सोनिया गांधी का विशेष लेख

September 25, 2025
विचार

भारत को UAPA के खिलाफ एक जन आंदोलन की जरूरत है

September 20, 2025
विचार

क्या क़तर ने हमास को धोखा दिया? इज़रायली हमले के पीछे 3 theories

September 12, 2025
Next Post
मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप के स्कूलों में अब शुक्रवार को छुट्टी नहीं होगी

मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप के स्कूलों में अब शुक्रवार को छुट्टी नहीं होगी

एसडीपीआई का मुजफ्फरनगर में सम्मेलन, जनसैलाब उमड़ा, संप्रदायिक शक्तियों के विरुद्ध लड़ाई का आह्वान

एसडीपीआई का मुजफ्फरनगर में सम्मेलन, जनसैलाब उमड़ा, संप्रदायिक शक्तियों के विरुद्ध लड़ाई का आह्वान

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

नूपुर पर बेंच की टिप्पणियों को वापस लेने की मांग, CJI को पत्र याचिका

नूपुर पर बेंच की टिप्पणियों को वापस लेने की मांग, CJI को पत्र याचिका

July 2, 2022

Hate Speech Case: जिस मामले में गई थी विधायकी, अब उसी में बरी हुए आजम खान, स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला

May 24, 2023
सबके नाथ एकनाथ, समर्थक विधायकों का रपचिक डांस

सबके नाथ एकनाथ, समर्थक विधायकों का रपचिक डांस

July 1, 2022

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • मुस्लिम आबादी 14.2% फिर अल्पसंख्यक कैसे,?अल्पसंख्यकों की परिभाषा फिर से तय हो: भाजपा नेता की मांग
  • बिहार: महागठबंधन में फूट! इन 8 सीटों पर “friendly figh”होगी
  • हिंसा,मॉब-लिंचिंग और गौरक्षकों पर तहसीन पूनावाला दिशानिर्देशों की उपेक्षा निंदनीय :मौलाना महमूद मदनी

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi