नई दिल्ली: दिल्ली की हवा फिर खराब हो गई है, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर स्तर पर पहुंचने के करीब है, ऐसे हालात को कंट्रोल कररने के लिए दिल्ली और आसपास के एनसीआर जिलों में डीजल वाले चार पहिया और हल्के मोटर वाहनों के चलने और प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है।
डॉक्टर्स का का कहना है, प्रदूषित हवा का असर बुजुर्गों के साथ 20 से 40 के साल उन लोगों पर भी दिख जिन्हें फेफड़ों की कोई बीमारी नहीं है. इनमें अस्थमा जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं. इसके अलावा सिरदर्द, आंखों में जलन और नाक में होने वाली दिक्कत से भी जूझ रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है, हवा में घुलता जहर शरीर के कई हिस्सों पर अपना बुरा असर छोड़ता है. जानिए, प्रदूषित होती हवा शरीर को कितना डैमेज रही है.
प्रदूषित हवा शरीर को कितना डैमेज कर रही?
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषित हवा में मौजूद बारीक कण सांस के जरिये शरीर में पहुंचते हैं और ब्लड में घुलते हैं. इस तरह ये ब्लड की मदद से पूरे शरीर में फैलते हैं और कई अंगों को डैमेज करते हैं. यह दिल और सांस की बीमारियों के साथ फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं. हवा में मौजूद नाइट्रोजन और सल्फर डाइऑक्साइड अस्थमा, फेफड़ों में सूजन और फेफड़ों के काम करने की क्षमता को घटाने का काम करते हैं.
एयर पॉल्यूशन इंसान के हार्ट पर कितना असर छोड़ता है, इसे समझने के लिए की गई स्टडी कहती है, यह धमनियों में ब्लॉकेज को बढ़ाता है. इससे शरीर में ब्लड का फ्लो घटता है, नतीजा ब्लड प्रेशर में इजाफा होता है. जैसे-जैसे इसका असर बढ़ता है शरीर में खून के थक्कों की संख्या बढ़ती है जो हार्ट अटैक की वजह बनती है.
जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी में पब्लिश रिसर्च रिपोर्ट कहती है, हवा में मौजूद प्रदूषित कण इंसान की याद्दाश्त पर भी बुरा असर डालते हैं. शिकागो यूनिवर्सिटी की रिसर्च में कहा गया है कि पॉल्यूशन इंसान की उम्र को 10 साल तक घटा रहा है.