ओडिशा में एक ट्रेन में यात्रा कर रही नन रचना नायक को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा झूठे आरोपों के आधार पर परेशान किया गया, जिसके बाद उन्हें 18 घंटे तक पुलिस हिरासत का सामना करना पड़ा। यह घटना उस समय सामने आई जब नन रचना नायक अपने छह युवा साथियों—दो पुरुष और चार महिलाओं—के साथ दिल्ली से राउरकेला जा रही थीं। सभी जन्म से ईसाई थे और ट्रेनिंग कोर्स में एडमिशन के लिए ओडिशा जा रहे थे। मीडिया को इस घटना की जानकारी सोमवार को मिली।
ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ इस घटना के बाद कैथोलिक चर्च के अधिकारियों ने समुदाय की लड़कियों के साथ यात्रा करने वाले सदस्यों को सलाह दी है कि वे अपने माता-पिता और गांव के प्रधानों की लिखित सहमति के साथ-साथ बपतिस्मा प्रमाणपत्र भी साथ लेकर चलें। जिससे यह साबित हो कि वे ईसाई हैं। यह घटना ओडिशा में भाजपा के सत्ता में आने के एक साल बाद हुई है। मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो छोटे बेटों के हत्यारों में से एक को अभी हाल में ही रिहा किया गया है। 1999 में बजरंग दल के नेता के नेतृत्व वाली भीड़ ने स्टेंस और उनके बच्चों को जिंदा जला दिया था।
‘.टेलीग्राफ’ की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल में होली फैमिली कॉन्वेंट की नन रचना नायक और उनके साथियों को भुवनेश्वर से लगभग 20 किलोमीटर दूर खुर्दा जंक्शन पर 30 लोगों के एक समूह ने घेर लिया, धमकाया और जबरन ट्रेन से उतार दिया। इसके बाद उन लोगों को सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने हिरासत में लिया और तीन महिला मानवाधिकार वकीलों के हस्तक्षेप के बाद रविवार शाम को ही जाने दिया। महिला वकीलों में से एक सुजाता जेना ने द टेलीग्राफ को बताया, “वे शनिवार शाम को बरहामपुर से राज्य रानी एक्सप्रेस में सवार हुए थे। उनमें से एक युवक नन का छोटा भाई था।”सुजाता जेना ने बताया कि “वे लोग झारसुगुड़ा जा रहे थे, जहाँ से उनकी योजना छत्तीसगढ़ जाने की थी, जहाँ लड़कियों को विभिन्न कौशल और अंग्रेजी बोलने की ट्रेनिंग दी जानी थी।” जेना ने कहा कि चारों युवतियों का चयन करियर काउंसलिंग की कड़ी प्रक्रिया के माध्यम से किया गया था, और वे सभी कैथोलिक थीं। उन्होंने कहा, “ट्रेन में उन्हें परेशान करते हुए नन पर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया गया।” बता दें कि धर्म परिवर्तन, जब तक कि लालच, धोखाधड़ी या जबरन नहीं किया जाता है, अवैध नहीं है।
उन्होंने कहा, “जांच के दौरान पता चला कि हिरासत में लिए गए सभी लोग 18 साल से अधिक उम्र के थे, सिवाय एक लड़की के, जो 17 साल की थी। सभी पढ़े लिखे हैं। तब उन सभी को पूरी सुरक्षा के साथ और बिना किसी आरोप के रिहा कर दिया गया है। पुलिस ने उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया।” जेना ने कहा कि महिलाओं के माता-पिता पुलिस स्टेशन पहुंचे और उन्हें वापस अपने गांव ले गए, इस घटना के बाद वे उन्हें छत्तीसगढ़ जाने देने के लिए तैयार नहीं थे।
जीआरपी खुर्दा के प्रभारी निरीक्षक शंकर राव ने कहा: “नन और चारों लड़कियाँ एक-दूसरे को जानती हैं। वे सभी ईसाई हैं। नन बरहामपुर की रहने वाली है। वह न तो धर्म परिवर्तन में शामिल थी और न ही तस्करी में। नन ने (उत्पीड़कों के खिलाफ) कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है।” सूत्रों ने बताया कि नन केरल में स्थापित एक स्थानीय मण्डली होली फैमिली ऑर्डर से संबंधित है। आभार सत्य हिंदी