इजराइल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला कर एक बार फिर अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद की ताकत साबित कर दी है. इस हमले को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ नाम दिया गया है, जिसकी तैयारी कई सालों से चल रही थी. मोसाद ने ईरान में एक घातक सीक्रेट नेटवर्क तैयार किया था, जिसकी मदद से ईरानी कमांडरों को एक ही जगह मीटिंग के लिए इकट्ठा कराया गया. इससे उन्हें टारगेट करना आसान हो गया. मोसाद के एजेंट ईरानी सेना में भी घुसपैठ कर चुके थे और उन्होंने शीर्ष सैन्य अधिकारियों तक पहुंच बना ली थी.
•••इजराइल के ड्रोन पहुंच चुके थे ईरान
इजराइल ने पहले ही तय कर लिया था कि यह हमला बेहद घातक करना है. उसने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों को टारगेट केिया. इजरायली रक्षा सूत्रों के अनुसार, पहले ही विस्फोटक ड्रोन ईरान में पहुंचा दिए गए थे और गुप्त ठिकानों पर एक ड्रोन बेस भी तैयार किया जा चुका था. मोसाद के एजेंटों ने हथियारों को केंद्रीय ईरान तक पहुंचा दिया, जबकि ईरान को इस पूरी तैयारी की भनक तक नहीं लगी. इससे पहले भी इजराइल खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम दे चुका है.
••••तीन चरणों में हुआ हमला
इजराइल ने ईरान पर तीन चरणों में हमला किया और ईरान को चौंका दिया. पहले चरण में ईरान के डिफेंस और वेपनरी सिस्टम को टारगेट बनाया गया. दूसरे चरण में एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह किया गया. वहीं तीसरे चरण में सरफेस टू सरफेस मिसाइल लॉन्चर पर हमला हुआ. इस पूरे ऑपरेशन में इजराइल ने अनमैन्ड एरियल व्हीकल यानी ड्रोन का इस्तेमाल कर रणनीतिक रूप से ईरान की क्षमताओं को कमजोर किया. इजराइल ने ईरान के न्यूक्लियर प्लांट और यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी को भी निशाना बनाया
•••ईरानी कमांडर्स को इकट्ठा करने का किया गया प्लान तैयार
इजराइल के हमले में ईरान के रेवोलूशनरी गार्ड प्रमुख जनरल हुसैनी सलामी, आर्मी चीफ मोहम्मद बाघेरी, इमर्जेंसी कमांड हेड गुलाम अली राशिद और एयरफोर्स चीफ आमिर अली हाजीजेदह की जान चली गई. एक इजराइली अधिकारी ने फॉक्स न्यूज से बात की. उन्होंने बताया कि यह हमला पहले से ही सुनियोजित था. ईरानी कमांडरों को एक मीटिंग के लिए एक जगह इकट्ठा करना इस प्लान का हिस्सा था. मोसाद ने ईरानी सेना के शीर्ष अधिकारियों को प्रभावित करना शुरू कर दिया था और उसे पहले ही पता चल गया था कि कमांडर एक जगह जरूर जुटेंगे, जिससे उन्हें टारगेट करना आसान हो गया.