नई दिल्ली: अमिनी को बिना हिजाब राजधानी तेहरान में घूमने पर गिरफ्तार किया गया, अरेस्ट होने के कुछ देर बाद ही वो कोमा में चली गईं और 3 दिन बाद (16 सितंबर) को पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई।
आज तक ऑनलाइन के अनुसार अब ईरान में जगह-जगह महिलाएं एंटी हिजाब कैंपेन चला रही हैं, शहर के किसी भी चौक-चौराहे पर महिलाओं की भीड़ इकट्ठा होती है और सामूहिक रूप से हिजाब उतारकर विरोध दर्ज कराया जाता है।
खौफनाक सजा को दरकिनार कर ईरान जैसे कट्टरवादी देश में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर प्रोटेस्ट कर रही हैं।
43 साल पहले तक ईरान ऐसा नहीं था, पश्चिमी सभ्यता का बोलबाला होने के कारण यहां खुलापन था. पहनावे को लेकर कोई रोकटोक नहीं थी. महिलाएं कुछ भी पहनकर कहीं भी आ-जा सकती थीं, 1979 ईरान के लिए इस्लामिक क्रांति का दौर लेकर आया।
शाह मोहम्मद रेजा पहलवी को हटाकर धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमैनी ने सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ले ली और पूरे देश में शरिया कानून लागू कर दिया।
हिजाब के खिलाफ कब शुरू हुए प्रोटेस्टईरान में हिजाब अनिवार्य होते ही छिटपुट विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए, लेकिन इस आंदोलन को असली हवा 2014 में मिली।
दरअसल, ईरान की राजनीतिक पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने लंदन की गलियों में टहलते हुए अपनी एक फोटो फेसबुक पर पोस्ट कर दी, अलीनेजाद की फोटो पर सैकड़ों ईरानी महिलाओं के कमेंट आए।
इससे प्रभावित होकर उन्होंने एक और फोटो पोस्ट किया. ये फोटो तब का था, जब मसीह अलीनेजाद ईरान में थीं, इसमें भी वो हिजाब नहीं पहने हुई थीं।
ईरान की महिलाओं ने भी बिना हिजाब के उन्हें अपनी फोटो भेजना शुरू कर दिया और इस तरह एक आंदोलन का जन्म हुआ, अलीनेजाद अब अमेरिका में रहती हैं।