नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुजरात में बैठे हैं। वे पांच दिन तक चलने वाले दिवाली के त्योहार गुजरात में मनाएंगे। उनका छह दिन तक गुजरात में रहने का कार्यक्रम है।
इस दौरान वे पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं, संभावित उम्मीदवारों पर विचार कर रहे हैं और चुनाव की रणनीति बना रहे हैं। उनके गुजरात जाने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 और 20 अक्टूबर को गुजरात में थे।
उससे पहले अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दोनों गुजरात में थे और दोनों ने कई चरण में चलने वाली गुजरात गौरव यात्रा को हरी झंडी दिखाई।
उससे पहले नौ से 11 अक्टूबर तक तीन दिन प्रधानमंत्री मोदी गुजरात में थे। सितंबर में भी इसी तरह का कार्यक्रम था लेकिन अक्टूबर का पूरा महीना भाजपा के तीनों नेताओं ने गुजरात में बिताया है। भाजपा करो या मरो के अंदाज में चुनाव लड़ रही है।
इसके मुकाबले कांग्रेस कहां खड़ी है? कांग्रेस के चुनाव पर्यवेक्षक अशोक गहलोत पिछले दिनों एक दिन के लिए गुजरात गए थे और उससे पहले सात सितंबर को भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने से पहले एक सभा करने राहुल गांधी गए थे। इसके अलावा किसी बड़े नेता का कार्यक्रम गुजरात में नहीं हुआ है।
पार्टी ने राजस्थान के नेता रघु शर्मा को प्रभारी बनाया है लेकिन वे गुजरात में कांग्रेस का माहौल नहीं बना पाए हैं। भाजपा ने सभी बड़े नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को सिर्फ दो राज्यों में लगाया है।
कांग्रेस ने ऐसा कुछ नहीं किया है। उसके सारे प्रदेशों के नेता अपने अपने प्रदेश में हैं। उनके अलावा कुछ बड़े नेता राहुल की यात्रा में हैं और वहीं गणेश परिक्रमा कर रहे हैं। पिछले चुनाव में राहुल ने खूब यात्राएं की थीं और कई मंदिरों व धार्मिक जगहों पर गए थे। इस बार वे कोई सभा नहीं करेंगे।
प्रियंका गांधी वाड्रा का भी हिमाचल प्रदेश में सभाओं का कार्यक्रम बन गया है लेकिन वे एक बार भी गुजरात नहीं गई हैं।