बुलंदशहर के स्याना हिंसा मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने छह साल, सात माह और 27 दिन बाद 38 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। पांच अभियुक्तों को हत्या के मामले उम्रकैद व 33 अभियुक्त जानलेवा हमले समेत 14 धाराओं में दोषी करार दिए गए हैं।
इन पांच दोषियों को हुई उम्रकैद
1. प्रशान्त नट पुत्र सुरेन्द्र निवासी ग्राम चिगरावटी थाना स्थाना बुलन्दशहर
2. राहुल पुत्र भीमसैन निवासी ग्राम हरवानपुर थाना स्याना बुलन्दशहर
3. डेविड पुत्र महीपाल निवासी चिंगरावटी थाना स्याना बुलन्दशहर
4. लोकेन्द्र पुत्र वीर सिंह निवासी चिगरावटी थाना स्याना बुलन्दशहर (जेल)
5. जौनी पुत्र सुशील निवासी चिगरावटी थाना स्याना बुलन्दशहर हिंसा के 33 दोषियों को सात-सात साल की सजा
ये था पूरा मामला
स्याना की चिंगरावठी चौकी क्षेत्र के गांव महाब के जंगल में तीन दिसंबर 2018 की सुबह गोवंश के अवशेष मिले थे। इसके विरोध में बजरंगदल, विश्व हिंदू परिषद समेत अन्य संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता ग्रामीणों के साथ गोवंश के अवशेष को एक ट्रैक्टर ट्रॉली में लादकर चिंगरावठी चौकी पहुंच गए थे। वहां उन्होंने जमकर बवाल किया। दोपहर तक मामला इतना बढ़ा कि उग्र प्रदर्शनकारियों ने चिंगरावठी चौकी और वहां खड़े माल बरामदगी के वाहनों में आग लगा दी थी। उग्र भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। बलवे में तत्कालीन स्याना कोतवाल सुबोध कुमार सिंह व गांव चिंगरावठी निवासी युवक सुमित कुमार की गोली लगने से मौत हो गई थी। सभी पर राजद्रोह की धाराएं लगाई गई थी लेकिन इसमें दोष सिद्ध नहीं हुआ।
पुलिस ने मामले में चार दिसंबर 2018 को कई नामजद व अज्ञात आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। 44 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। एफआईआर में हिंसा में मारे गए युवक सुमित कुमार को भी आरोपी बनाया था। मामले की जांच के लिए बाद में एसआईटी गठित की गई। एसआईटी ने जांच पूरी कर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की थी। प्रशांत नट, डेविड, राहुल, जॉनी और लोकेंद्र उर्फ मामा को हत्या का आरोपी बनाया गया था। योगेश राज समेत अन्य सभी पर जानलेवा हमला, डकैती, आगजनी, बलवा, धमकी देने समेत आईपीसी की 14 धाराएं लगाई गई थीं। सभी आरोपियों पर राजद्रोह की धारा भी लगाई गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान पांच आरोपी चंद्रपाल, अजय उर्फ दीवला, कुलदीप, आशीष उर्फ छोटे व ओमेंद्र की मृत्यु हो गई। एक आरोपी की पत्रावली पृथक कर बाल न्यायालय भेज दी गई थी, उसका मामला अभी तक विचाराधीन है। आभार: अमर उजाला












