Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

मोदी और राहुल का फर्क: एक नज़रिया

RK News by RK News
June 4, 2023
Reading Time: 1 min read
0

by: – हरि शंकर व्यास.
(यह लेख के निजी विचार हैं).
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब विदेश दौरे पर जाते हैं तो हर देश में सैकड़ों लोगों की भीड़ उनका स्वागत करने के लिए उमड़ती है। सड़कों पर मोदी मोदी के नारे लगते हैं। वे उन देशों के प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों के गले लगते हैं। दूसरे देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति भी कभी मोदी को रॉकस्टार तो कभी बॉस कह कर उनको खुश करते हैं। दोपक्षीय वार्ताओं के अलावा मोदी प्रवासी भारतीयों की भीड़ को संबोधित करते हैं। वहां अपनी सरकार की उपलब्धियां बताते हैं और पहले की सरकारों को नाकाम-नाकारा साबित करते हैं। वे कारोबारियों को संबोधित करते हैं और उनको भारत आने का न्योता देते हैं। भारत की कथित आर्थिक तरक्की की कहानियां सुनाते हैं और बताते हैं कि कैसे उन्होंने भारत में कारोबार करना सुगम बना दिया है। अपने पूरे दौरे में वे प्रायोजित भीड़ के दायरे से बाहर नहीं निकलते हैं। विदेशी धरती पर भी न भारतीय मीडिया को इंटरव्यू देते हैं और न विदेशी मीडिया से बात करते हैं। वे आज तक किसी भी देश में खुले कार्यक्रम में या प्रेस कांफ्रेस में शामिल नहीं हुए हैं, जहां कोई उनसे सवाल पूछ सके।

RELATED POSTS

फिलीस्तीन पर अवसरवाद  :-मनोज झा

अहमदाबाद: एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो कर, दो टुकड़ों में टूटा,242 यात्रियों में53 ब्रिटिश,

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

इसके उलट राहुल गांधी हर देश में खुले सत्र में हिस्सा लेते हैं। बौद्धिकों के साथ संवाद करते हैं। पत्रकारों के साथ बात करते हैं। दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में भाषण देते हैं और वहां के छात्रों के साथ सीधा संवाद करते हैं। उनके भी कई कार्यक्रम प्रायोजित होते हैं और वे भी पार्टी की ओर से जुटाए गए प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हैं। इसके बावजूद उनका कार्यक्रम सरकारी कार्यक्रम की तरह प्रयोजित नहीं होता है। अगर ऐसा होता तो अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में उनके कार्यक्रम में खालिस्तान समर्थक पहुंच कर नारेबाजी नहीं करते। उनको भाषण देने से रोकने की कोशिश नही करते, बल्कि उनके लिए भी राहुल राहुल के नारे लगते।  उनके ज्यादातर कार्यक्रम स्वंयस्फूर्त होते हैं जो आज के प्रायोजित नैरेटिव निर्माण के वक्त  में बहुत जोखिम का काम है।

अमेरिका में राहुल ने सैन फ्रांसिस्को में भाषण दिया। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में गए और छात्रों के साथ संवाद किया। उसके बाद वे वाशिंगटन पहुंचे तो नेशनल प्रेस क्लब में पत्रकारों के साथ सीधी बातचीत की। इसमें राहुल ने तमाम गंभीर और जटिल मसलों पर सहज भाव से पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। कहने की जरूरत नहीं है कि अमेरिकी पत्रकार कितने निर्मम होते हैं। उन्हें अपने राष्ट्रपति से आंख मिला कर मुश्किल सवाल पूछने में भी दिक्कत नहीं होती है। इसलिए नेशनल प्रेस क्लब में राहुल का इस तरह से पत्रकारों से मिलना और खुली बातचीत करना भी एक जोखिम भरा काम था। उनके पिता और दादी ने यह काम किया था लेकिन तब वे देश के प्रधानमंत्री थे। मनमोहन सिंह ने भी बतौर प्रधानमंत्री वाशिंगटन में नेशनल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात की थी।
लंदन के अपने दो दौरों में राहुल गांधी ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित किय। उनके साथ खुली बातचीत भी की। वे बौद्धिकों से भी मिले और उनके सवालों का जवाब भी दिया। प्रवासी भारतीयों के साथ भी उनका संवाद अक्सर प्रायोजित नहीं होता है। सो, एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी का शक्ति प्रदर्शन है और प्रायोजित भीड़ के जरिए अपनी लोकप्रियता का प्रदर्शन है तो दूसरी ओर राहुल गांधी का पश्चिमी और सभ्य लोकतांत्रिक देशों की तासीर वाला सहज, स्वाभाविक संवाद है। मोदी के कार्यक्रमों को पश्चिमी और दूसरे सभ्य देशों के लोग कौतुक से देखते होंगे लेकिन राहुल का व्यवहार उनको ज्यादा अपना सा लगता होगा। उनके नेता भी इसी तरह उनके साथ सहज भाव से मिलते हैं, मीडिया से बात करते हैं और मुश्किल सवालों के जवाब देते हैं। वहां सिर्फ भाषण नहीं होते है, बल्कि दोतरफा संवाद की परंपरा है।

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

फिलीस्तीन पर अवसरवाद  :-मनोज झा

June 30, 2025
विचार

अहमदाबाद: एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो कर, दो टुकड़ों में टूटा,242 यात्रियों में53 ब्रिटिश,

June 12, 2025
विचार

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

May 15, 2025
विचार

गजा और शान्ति:अमेरिका की दोहरी नीति, दोहरा चरित्र

May 12, 2025
विचार

ईस्ट इंडिया कंपनी भले खत्म हो गई, उसका डर फिर से दिखने लगा!

November 6, 2024
विचार

इस्लामोफोबिया से मुकाबला बहुत पहले शुरू हो जाना था:–राम पुनियानी

September 16, 2024
Next Post

खबरदार: चोरी का स्मार्टफोन खरीदने पर 3 साल की सजा और एक लाख का जुर्माना हो सकता है

महमूद मदनी ने की ‘अजमेर 92’ फिल्म को बैन करने की मांग, समाज में दरार डालने की कोशिश बताया

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

पतंजलि की 5 बैन दवाओं को फिर से मिली मंजूरी

पतंजलि की 5 बैन दवाओं को फिर से मिली मंजूरी

November 13, 2022

आजम को आखिरी किला बचाने की चुनौती

February 19, 2023

“बिहार में अभी खेल होना बाकी है”: सियासी हलचल के बीच तेजस्वी यादव का बड़ा दावा

January 27, 2024

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • Bihar voter list controversy: विपक्ष के विरोध पर election commission का यू-टर्न, अब यह कहा
  • फिलीस्तीन पर अवसरवाद  :-मनोज झा
  • भारत में यूरोपीय ढंग के राष्ट्रवाद की विकास यात्रा   **राम पुनियानी

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi