दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की भर्ती में गड़बड़ियों से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। स्पेशल जज राकेश स्याल ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने 24 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान ईडी ने अमानतुल्लाह की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि अमानतुल्लाह को अगर अग्रिम जमानत दी गई तो वह जांच में सहयोग नहीं करेंगे। अमानतुल्लाह ने आपराधिक गतिविधियों से काफी संपत्ति अर्जित की और अपने सहयोगियों के नाम पर अचल संपत्ति खरीदी है। छापे के दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य ऐसे मिले हैं जिनसे पता चलता है कि वो मनी लांड्रिंग के अपराध में लिप्त हैं।
कोर्ट ने 19 फरवरी को ईडी को नोटिस जारी किया था। 19 फरवरी को अमानतुल्लाह की ओर से पेश वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि अमानतुल्लाह खान को मनी लांड्रिंग मामले में ईडी की ओर से नोटिस जारी किया गया है। एक ही मामले में दो एफआईआर दर्ज किए गए हैं। सीबीआई ने 23 नवंबर 2026 को पहली एफआईआर दर्ज की थी। आरोप है कि अमानतुल्लाह को दिल्ली वक्फ बोर्ड का चेयरमैन गलत तरीके से नियुक्त किया गया। सीबीआई ने मामले को ये कहते हुए बंद कर दिया कि ये प्रशासनिक गड़बड़ी है।
इसके पहले अमानतुल्लाह ने 7 फरवरी को ईडी की ओर से जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट से वापस ले ली थी।
उल्लेखनीय है कि राऊज एवेन्यू कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लिया है। ईडी ने 9 जनवरी को चार्जशीट दाखिल की थी। करीब पांच हजार पेज की चार्जशीट में ईडी ने जावेद इमाम सिद्दिकी, दाऊद नासिर, कौसर इमाम सिद्दिकी और जीशान हैदर को आरोपित किया है। ईडी ने पार्टनरशिप फर्म स्काई पावर को भी आरोपित बनाया है।
ईडी के मुताबिक ये मामला 13.40 करोड़ रुपये की जमीन की बिक्री से जुड़ा हुआ है। अमानतुल्लाह के अज्ञात स्रोतों से अर्जित संपत्ति से जमीनें खरीदी और बेची गईं। आरोपित कौसर इमाम सिद्दिकी की डायरी में 8 करोड़ रुपये की एंट्री की गई है। जावेद इमाम को ये संपत्ति सेल डीड के जरिए मिली। जावेद इमाम ने ये संपत्ति 13.40 करोड़ रुपये में बेची।
इस मामले में पहले सीबीआई ने केस दर्ज किया था। सीबीआई की ओर से दर्ज केस में अमानतुल्लाह समेत 11 आरोपितों के नाम हैं। सीबीआई ने 23 नवंबर 2016 को एफआईआर दर्ज की थी। जांच के बाद सीबीआई ने 21 अगस्त 2022 को चार्जशीट दाखिल की। सीबीआई के मुताबिक दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ और संविदा पर दूसरी नियुक्तियों में गड़बड़ियां की गईं।
सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि इन नियुक्तियों के लिए अमानतुल्लाह ने महबूब आलम और दूसरे आरोपितों के साथ साजिश रची, जिन्हें वक्फ बोर्ड में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था। इन नियुक्तियों में मनमानी की गई और अमानतुल्लाह और महबूब आलम ने अपने पद का दुरुपयोग किया।