नई दिल्ली:सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई की और कहा कि वह वक्फ अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं में अंतरिम राहत के सवाल पर विचार करेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में अंतरिम राहत के सवाल पर विचार करेगा।मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने वक्फ मामले में शीर्ष अदालत द्वारा पहचाने गए तीन मुद्दों पर विस्तृत जवाब दाखिल किया है। केंद्र द्वारा दिया गया आश्वासन यह था कि वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जिनमें केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना और वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के प्रावधान शामिल हैं, कुछ समय के लिए प्रभावी नहीं रहेंगे, बल्कि जारी रहेंगे।मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने की। पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जिनकी पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी, ने 13 मई को पद छोड़ दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को केंद्र सरकार का आश्वासन दर्ज किया था कि वह वक्फ संपत्तियों को, जिसमें “उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” भी शामिल है, 5 मई तक गैर-अधिसूचित नहीं करेगी या केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में नियुक्तियां नहीं करेगी।
यह आश्वासन तब मिला जब शीर्ष अदालत को बताया गया कि संसद ने कानून को “उचित विचार-विमर्श” के साथ पारित किया है और सरकार को सुने बिना इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।केंद्र ने “उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” (waqf by user) सहित वक्फ संपत्तियों की अधिसूचना रद्द करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने के शीर्ष अदालत के प्रस्ताव का विरोध किया, साथ ही केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगा दी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र पर शीर्ष अदालत में गलत आंकड़े पेश करने का आरोप लगाया है और “झूठा हलफनामा” दाखिल करने के लिए संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मामला की अगली सुनवाई 20मई को होगी