केंद्र सरकार सीएए को लागू करने के लिए कमर कस चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले मार्च में ही इसकी अधिसूचना जारी कर सकता है। सीएए का नोटिफिकेशन या अधिसूचना जारी होने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का रास्ता साफ हो जाएगा
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि, आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले गृह मंत्रालय सीएए के नियमों को अधिसूचित करेगा। सीएए के ऑनलाईन पोर्टल को रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार किया जा चुकी है।
इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद उन गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को खासतौर से लाभ होगा जिनके पास आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं। इसके लिए आवेदक पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज नहीं रहने पर भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लागू होने के बाद उपरोक्त देशों से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों 5 वर्ष से अधिक समय तक भारत में रहने के बाद भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे
हाल के दिनों में गृहमंत्री अमित शाह दो बार कह चुके हैं कि सीएए को लोकसभा चुनाव से पहले ही लागू कर दिया जायेगा। वह कह चुके हैं कि देश के इस कानून को लागू होने से कोई रोक नहीं सकता। सीएए दिसंबर 2019 में संसद से पास हो चुका है, राष्ट्रपति की मंजूरी भी इसे मिल चुकी है। इसके बाद भी यह अब तक लागू नहीं हो पाया है।
इस कानून का मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा भारी विरोध हो चुका है। इसका विरोध असम और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा हुआ है। वहां के लोगों का कहना है कि इसके लागू होने से बड़ी संख्या में शरणार्थी बांग्लादेश से आएंगे।
वहीं गृह मंत्री अमित शाह और केंद्र सरकार के अन्य मंत्री कई बार कह चुके हैं कि सीएए से किसी की नागरिकता नहीं छिनी जायेगी। यह नागरिकता छीनने का कानून नहीं है बल्कि यह नागरिकता देने का कानून है
मार्च में हो सकती है लोकसभा चुनाव की घोषणा
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि सीएए नियमों को चुनाव आचार संहिता से पहले, अगले एक पखवाड़े के भीतर अधिसूचित किए जाने की संभावना है। उम्मीद है कि अगले महीने किसी भी तिथी को लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो जाएगी।
यह रिपोर्ट कहती है कि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि, मैं आपको तारीख नहीं बता सकता, लेकिन आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने से पहले सीएए के नियमों को अधिसूचित कर दिया जाएगा। चार साल पहले कानून बनने के बावजूद नियमों को अधिसूचित नहीं किए जाने के कारण सीएए को अब तक लागू नहीं किया जा सका है।
सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है। आवेदकों को हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध समुदायों से संबंधित होना चाहिए। कानून इस धारणा के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है कि इन समुदायों को इन तीन इस्लामी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का करना पड़ा हो। साभार सत्या हिन्दी