बिहार की मतदाता सूची में एक चौंकाने वाली खामी सामने आई है। न्यूज़लॉन्ड्री की एक विशेष जांच के अनुसार, विशेष गहन संशोधन (SIR) के बाद तैयार की गई बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची में 2,92,048 मतदाताओं का मकान नंबर ‘0’, ’00’ या ‘000’ दर्ज है। यह सूची 1 अगस्त को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई
बिहार के चुनाव अधिकारी ने ग़लती मानी
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के एक अधिकारी, उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी अशोक प्रियदर्शी ने स्वीकार किया कि इस तरह की “त्रुटियां” मतदाता सूची में आ जाती हैं। उन्होंने कहा, “कभी-कभी मतदाता अपने मकान नंबर नहीं भरते। हालांकि, ईसीआई की वेबसाइट ऐसी (नामांकन) अर्जियों को स्वीकार कर लेती है। इसलिए मकान नंबर का डिफॉल्ट मान ‘0’ दिखाया जाता है। हम इसे सुधारने की कोशिश करेंगे।”
चुनाव आयोग, किया बदलाव
न्यूज़लॉन्ड्री ने बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 235 में फैले 87,898 मतदान केंद्रों पर 7 करोड़ से अधिक मतदाताओं की प्रारंभिक सूची का विश्लेषण किया। आठ विधानसभा सीटों के 2,184 मतदान केंद्रों का विश्लेषण नहीं हो सका, क्योंकि राहुल गांधी द्वारा 7 अगस्त को “वोट चोरी” के आरोप लगाने के बाद ईसीआई ने मतदाता सूची का प्रारूप बदल दिया। उसने उसे डिजिटल से स्कैन कॉपी या स्कैन लिस्ट में बदल दिया। ऐसा करने से मतदाताओं का फोटो और अन्य सूचनाएं निकाली नहीं जा सकतीं।
इन जिलों में ज़ीरो पते वाले वोटरों की भरमार
जांच में पाया गया कि मगध और पटना क्षेत्रों में सबसे अधिक मतदाता ‘0’ मकान नंबर के साथ दर्ज हैं। औरंगाबाद जिले की ओबरा विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 6,637 ऐसे मतदाता हैं, इसके बाद फुलवारी (5,905), मनेर (4,602), फोर्ब्सगंज (4,155), दानापुर (4,063), गोपालगंज (3,957), पटना साहिब (3,806), हाजीपुर (3,802), दरभंगा (3,634) और गया टाउन (3,561) हैं। इनमें से सात क्षेत्र, फोर्ब्सगंज, हाजीपुर और दरभंगा को छोड़कर, पटना क्षेत्र में आते हैं, जो राज्य का सबसे विकसित हिस्सा है
विपक्षी दलों ने एसआईआर की आलोचना की है, उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया मतदान से बड़े पैमाने पर लोगों को बाहर करने का कारण बनेगी। प्रारंभिक मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं को हटा दिया गया, जिसमें 22 लाख मृत, 36 लाख स्थानांतरित या अनुपस्थित और 7 लाख डुप्लिकेट पंजीकरण के कारण हटाए गए।न्यूज़लॉन्ड्री की जांच में यह भी सामने आया कि कुछ मतदाताओं के पते गलत दर्ज किए गए हैं, जैसे कि एक मतदाता का पता “श्मशान घाट” और कुछ का पता पूरी तरह खाली था। यह स्थिति बिहार में मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है और निर्वाचन आयोग से 65 लाख हटाए गए मतदाताओं का विवरण मांगा है। विपक्षी दलों और गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने इस प्रक्रिया को चुनौती दी है, जिस पर सुनवाई 12 और 13 अगस्त को होनी है। यह विवाद बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले और गहरा गया है, जहां विपक्ष का दावा है कि यह प्रक्रिया बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है। आभार सत्य हिंदी












