समाजवादी पार्टी के संस्थापक एक दशक से राज्य की मुस्लिम राजनीति का चेहरा बने हुए हैं और आज खान अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि एक डिजाइन के तहत उनकी राजनीति समाप्त होने जा रही है। वे अपनी 10 सीट और पारंपरिक विधानसभा की सीट भी नहीं चूकते। अब परिवार की दूसरी पारंपरिक विधानसभा सीट पर संकट आ गया है। वह आजम खान और उनके परिवार का आखिरी किला है। अगर वह हाथ से निकल गया तो उसकी राजनीति समाप्त हो सकती है और साथ ही परिवार यानी बीट की राजनीति भी हाशिए पर आ जाएगी।
आजम खान 2019 में सभी उलटी शर्तों के बावजूद रामपुर में लोकसभा सीट जीती थीं। बाद में 2022 में वे रामपुर सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और जीते। जीतने के बाद उन्होंने अखिलेश यादव के साथ सातवीं सीट छोड़ी। अखिलेश की आजमगढ़ और आजम की रामपुर सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें दोनों क्षेत्रों पर बीजेपी की जीत हुई। इसके कुछ ही दिन बाद एक मामले में आजम खान को सजा हुई और आनन-फानन में उनकी सदस्यता समाप्त हो गई। इसके बाद रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए और भाजपा की भी जीत हुई।
अब स्वार विधानसभा सीट की बारी है। अपने परिवार की इस सबसे सुरक्षित सीट पर आजम खान ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को चुनाव लड़ा था और वे बड़े अंतर से जीते थे। सड़क जाम करने के 15 साल पहले एक मामले में उन पर आरोप लगाए गए हैं और उनकी सदस्यता समाप्त हो गई है। अब स्वार सीट पर उपचुनाव होगा। आजम खान परिवार के लिए यह आखिरी किला है और हर हाल में इसे बचाना होगा। पहले रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आजम ने परिवार के किसी सदस्य को नहीं उठाया था और दोनों सीट हार गए थे। स्वार में उनके परिवार के किसी सदस्य को हटा कर किला बचाना होगा। ( courtesy: Naya india)