दो शब्द:Nadeem Khan
चारों तरफ़ सन्नाटा है कहीं कोई एक दो आवाज़ है
एक मकतबे फ़िकर के बड़े मौलना को जेल में डाल दिया गया तमंचे से लेकर बारूद तक घर से बरामद दिखा दिया गया दामाद को जेल भेज दिया उसके और जानने वाले लोगो की प्रॉपर्टी पे बुलडोजर चला दिया गया
70 के आस पास जेल भेज दिए गए जो लोग अदालत में पेश हुए है उनके साथ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल हुआ है
जुर्म I Love Mohammad SAW पे जो FIR हुई थी उसपे ज्ञापन देने जा रहे थे
मान लिया कुछ बवाल हुआ या परमिशन नहीं थी तो कितने ज्ञापन देने वाले परमिशन लेते है
ये भी मान लिया की सड़को पे नहीं आना चाहिए लेकिन क्या जिस तरह का मामला हो रहा है वो सही है
अब अगर नबी से मोहब्बत का इज़हार भी जुर्म हो गया तो फिर बचा क्या ,रिलीजियस फ्रीडम और फला डेका सब किताबी बाते बंद करिए
इसके बाद तो अगला नंबर अब नमाज़ अज़ान का ही बचा
और रही बात तौक़ीर रज़ा साहब की तो उनको जो भी मान ले उनके साथ जो हो रहा है वो मुसलमानों को उनकी औक़ात में रखने के लिए हो रहा है और मुसलमान समझ कर हो रहा है
जो इख़्तेलाफ़ है वो बाद में कर लीजिएगा
ज़रूरी नहीं की आप सड़को पर आइये लेकिन ये खामोशी जुर्म है
और ज़ालिम का साथ देने वाले वो लोग भी है जो अगर कोई जज़्बात में आ कर नबी की मोहब्बत में सड़क पे आ गया तो उसके गोली मार देने और लाठी चलाने और जेलों में डाल देने को कह रहे है की ये तो होना ही था
आज तौकीर रज़ा है कल हममें से कोई भी हो सकता है
सवाल ये है की जो मौलना की साथ पुश्तों को ठीक करने का ठेका लिए घूम रहा है वो क्या वो ठीक है उसके जुर्म के सामने मौलना के जुर्म क्या है(फेसबुक वॉल से )