बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान के एक वरिष्ठ बाग़ी नेता ने कहा है कि तालिबान शहरों में अफ़ग़ान सैनिकों से लड़ाई नहीं लड़ना चाहता, बल्कि वो उन्हें आत्मसमर्पण करते देखना चाहता है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी ने अपनी रिपोर्ट में इसका ज़िक्र किया है.
बताया गया है कि इस बीच तालिबान नेताओं ने तुर्की को भी चेतावनी दी है कि वो अफ़ग़ानिस्तान में अपनी सेना की उपस्थिति ना बढ़ाये.
कट्टरपंथी इस्लामी समूह ‘तालिबान’ने अफ़ग़ानिस्तान के अधिकांश इलाक़े पर कब्ज़ा कर लिया है. विदेशी सैनिकों के लौटने के बाद, तालिबान ने बहुत तेज़ी से अपने कब्ज़े वाले क्षेत्र का विस्तार किया है.
अफ़ग़ानिस्तान के कुछ ही शहर अब अफ़ग़ान सेना के पास रह गये हैं और इन इलाक़ों में भी सुविधा का सामान सिर्फ़ हवाई जहाज़ों के ज़रिये पहुँचाया जा रहा है.
तालिबान के प्रवक्ता आमिर ख़ान मुत्ताकी ने इस बीच एक संदेश दिया है कि “अब लड़ाई पहाड़ों और रेगिस्तानी इलाक़ों से शहरी इलाक़ों तक पहुँच गई है, लेकिन मुजाहिदीन (तालिबान लड़ाके) शहरों के अंदर लड़ाई नहीं चाहते. इसलिए ये बेहतर होगा कि बातचीत का कोई चैनल बनाया जाये, ताकि शहरों को नुक़सान से बचाया जा सके.”
ये तालिबान की एक जानी-पहचानी तरक़ीब रही है कि ज़िला मुख्यालयों और शहरों को चारों ओर से घेरकर, उन्हें काट दिया जाये और फिर कुछ वरिष्ठ लोगों से मध्यस्थता करवाई जाये. तालिबान ने 1990 के दशक में भी, पहली बार सत्ता में आने के लिए यही किया था.
मुत्ताकी के इस ताज़ा बयान के बाद, क़ाबुल पुलिस के प्रवक्ता फ़िरदौस फारामुर्ज़ ने बताया कि क़ाबुल शहर के बीचोंबीच एक बम धमाका हुआ जिसमें 4 अफ़ग़ान नागरिकों की मौत हो गई और पाँच लोग जख़्मी हुए.
मुत्ताकी का बयान, अफ़ग़ानिस्तान के रक्षा मंत्री द्वारा जारी किये गए एक आधिकारिक वक्तव्य के बाद आया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अफ़ग़ान सैनिकों ने कई दिनों के कड़े संघर्ष के बाद एक महत्वपूर्ण शहर को तालिबान के कब्ज़े से छुटा लिया है.
एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान के बदघिस प्रांत में पिछले सप्ताह तालिबान और अफ़ग़ान सेना के बीच काफ़ी लड़ाई हुई थी.
मंगलवार को एक अन्य बयान में तालिबान ने ये भी कहा कि क़ाबुल एयरपोर्ट को सुरक्षा देने के लिए अपनी सेना की मौजूदगी को लेकर तुर्की दोबारा विचार करे.
ख़बरों के अनुसार, क़ाबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा को लेकर अमेरिका और तुर्की के बीच एक आम सहमति बनी थी, लेकिन तालिबान चाहता है कि तुर्की भी अपने सैनिकों को वापस बुलाये.
विदेशी सैनिकों के लौटने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से, अफ़ग़ानिस्तान में परिस्थितियाँ लगातार बदल रही हैं. अमेरिका का कहना है कि वो 31 अगस्त तक अपने सभी सैनिकों को अफ़ग़ानिस्तान से वापस बुला लेगा.