:••••मोहन कुमार
देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ती ठंड के बीच विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections) की सरगर्मियां तेज हो गई हैं.इससे पहले INDIA गठबंधन के तहत AAP ने कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में लोकसभा का चुनाव लड़ा था. हालांकि, INDIA ब्लॉक एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
चुनौतियां और संभावनाएं
एंटी इनकंबेंसी के अलावा आम आदमी पार्टी के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटना भी एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है. AAP सरकार पर चर्चित दिल्ली शराब नीति मामले से लेकर जल बोर्ड, स्कूल क्साल रूम, मुख्यमंत्री आवास नवीनीकरण मामले में घोटाले के आरोप लगे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और सांसद संजय सिंह भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जा चुके हैं. सितंबर में AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को ED ने मनी लॉन्डिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी दिल्ली वक्फ बोर्ड में नियुक्तियों और इसकी संपत्तियों को पट्टे पर देने में कथित अनियमितताओं के संबंध में की गई थी.
इस साल की शुरुआत में दिल्ली के उपराज्यपाल ने AAP सरकार की ओर से चलाए जा रहे मोहल्ला क्लिनिक में फर्जीवाड़े के आरोपों की CBI जांच के आदेश दिए थे.
आरती जेरथ कहती हैं, “भ्रष्टाचार के आरोपों और पिछले पांच सालों में सरकार-एलजी और सरकार-बीजेपी के बीच जो खींचतान हमें देखने को मिली है, उसकी वजह से आम आदमी पार्टी को झटका लगा है. दिल्ली की हालत खराब हो गई है. जनता भी इससे परेशान हो गई है. ऐसे में जनता किसे चुनेगी, ये कहना मुश्किल है.”
अमिताभ तिवारी कहते हैं, “”अगर AAP के सोशल मीडिया को देखें तो वहां सिर्फ अटैक ही अटैक चल रहा है. लॉ एंड ऑर्डर को लेकर अमित शाह पर निशाना साध रहे हैं. पार्टी की ओर से पॉजिटिव कैंपन नहीं दिख रहा है. फ्री बिजली-पानी तो सरकार दे ही रही है, लेकिन उसमें नया क्या है?”हालांकि, आरती जेरथ कहती हैं,”आम आदमी पार्टी के पक्ष में दो बातें है. पहला- कांग्रेस दिल्ली में खत्म हो चुकी है. कांग्रेस का पूरा बेस AAP में शिफ्ट हो गया है. MCD चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रति मुस्लिम वोटर्स की नाराजगी देखने को मिली थी, जिसकी वजह से कुछ वोट कांग्रेस में वापस शिफ्ट हुए. इस वजह से MCD चुनाव में AAP को उतनी बहुमत नहीं मिली, जितनी मिलनी चाहिए थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में मुकाबला बाइपोलर (द्विध्रुवीय) यानी आम आदमी पार्टी बनाम बीजेपी का हो गया है. ऐसे में अल्पसंख्यक वोट AAP की तरफ फिर से एकजुट हो सकते हैं.”
इसके साथ ही वे कहती हैं, “केजरीवाल के पक्ष में सबसे पड़ी बात है कि उनके मुकाबले में दूसरी तरफ से कोई नहीं है.”
**क्या बदलेगा वोटिंग पैटर्न?
2024 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने 54% वोट शेयर के साथ सातों सीट पर कब्जा जमाया है. अब सवाल है कि क्या विधानसभा चुनाव में वोटिंग पैटर्न बदलेगा?
अमिताभ तिवारी कहते हैं, “विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट करने वाले 30% वोटर्स, लोकसभा चुनाव में आधे-आधे बीजेपी और कांग्रेस में बंट जाते हैं. इसमें से 15% एंटी बीजेपी वोट है. लोगों को अभी लगता है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस, बीजेपी को हरा सकती है. और 15% स्विंग वोटर हैं, जो कभी बीजेपी और कभी AAP को वोट करते हैं.”अमिताभ तिवारी कहते हैं, “अगर बीजेपी को विधानसभा चुनाव जीतना है तो उसे 15% स्विंग वोटर्स को AAP में शिफ्ट होने से रोकना होगा. इस 15 फीसदी में पूर्वांचली, पंजाबी खत्री, बनिया, दलित और गरीब शामिल हैं.” 2020 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों में से 62 पर जीत दर्ज की थी. वहीं बीजेपी मात्र 8 सीट ही जीत पाई थी. बीजेपी का वोट शेयर करीब 39% था.
(आभार :द क्विंट)