✍लेखक : तवलीन सिंह
‘बेअदबी’ शब्द सुनकर वे हैरान हैं. पाकिस्तान में ईश-निंदा को गुस्ताख-ए-रसूल कहा जाता है और कानूनी तौर पर इसकी सजा है मौत. भारत में ऐसी हत्याओं का प्रचलन नहींहै. पंजाब के गुरुद्वारों में ऐसी हत्याएं होने लगी हैं तो इसके कारण क्या हैं? पंजाब के नेताओं के मुंह से इस घटना की निंदा क्यों नहीं हो रही है? नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेता खुलकर इसका समर्थन कर रहे हैं. क्या ऐसा चुनाव के कारण हो रहा है?
बेअदबी के नाम पर हो रही हत्याओं का विरोध प्रधानमंत्री को करना चाहे. लेकिन, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि ‘न्यू इंडिया’ में वे सबसे आगे हैं जहां धर्म और राजनीति को मिला दिया गया है. हरिद्वार में ‘संतों’ की ओर से मुसलमानों के विरुद्ध तलवार उठाने की बात पर भी वे चुप हैं. ऐसे में वे किस मुंह से विरोध कर पाएंगे? अर्धशिक्षित हिंदू को एक ही संदेश जाता है कि सेकुलरिज्म के नाम पर हिंदुओं को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाकर रखा गया था कांग्रेस पार्टी के दौर में.
अब समय है बदला लेने का. मोदी राज में 80 फीसदी मॉब लिंचिंग की घटनाएं हैं. उत्तर प्रदेश में उनकी रोजी-रोटी तकरीबन समाप्त हो गयी है जो गोश्त बेचकर गुजारा किया करते थे या पशु चलाने का काम करते थे. ऐसे में प्रधानमंत्री किस मुंह से बोलें कि पंजाब में जो कुछ हो रहा है वह गलत है. सो, वे चुप है।
साभार : इंडियन एक्सप्रेस