पिछले कुछ दिनों में महिला उत्पीड़न से जुड़ी तीन-चार खबरें आई हैं, जो बेहद व्यथित करने वाली हैं। संयोग ये है कि इन तमाम खबरों का संबंध उत्तरप्रदेश से है। हालांकि इन खबरों का विश्लेषण राज्य की सीमाओं से परे जाकर समग्रता में करने की ज़रूरत है, क्योंकि महिलाओं की स्थिति हर जगह एक जैसी ही है।
इस वक़्त जिसे आजादी का अमृतकाल कहा जा रहा है, उसमें देश की आधी आबादी के लिए अमृत का कोई क़तरा है या नहीं, इस पर भी विचार करने की ज़रूरत है। अभी 15 अगस्त को लालकिले से प्रधानमंत्री मोदी क्या भाषण देंगे, इसकी तैयारी हो चुकी होगी, या चल रही होगी। मुमकिन है कि उनके भाषण में इस बात का जिक्र किया जाएगा कि अमृतकाल में देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिली हैं। अगर ये उल्लेख होगा तो इस पर तालियां भी खूब बजेंगी। लेकिन इस खुशी के साथ इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि आखिर देश में महिलाओं के साथ किस तरह का व्यवहार हो रहा है।
पिछले दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया के जरिए लोगों के सामने आया, जिसमें सीतापुर के गोंदलामऊ के प्राथमिक विद्यालय करनपुर में शिक्षक सचिन यादव ने प्रधानअध्यापिका आरती को विद्यार्थियों के सामने ही कई बार अपशब्द कहे। सचिन यादव अपनी गैरहाज़िरी दर्ज कराने पर कुपित था। एक शिक्षक होने के बावजूद उसने भाषा और व्यवहार पर कोई संयम नहीं रखा और छोटे बच्चों के सामने गुंडों जैसा व्यवहार किया।
बताया जा रहा है कि यह घटना 4 जुलाई की है, लेकिन मामला अब सुर्खियों में आया है। एक महिला के साथ इस तरह सरेआम बदतमीजी करने वाले व्यक्ति को क्या शिक्षक बने रहने का कोई हक है, यह एक बड़ा सवाल है। दूसरा सवाल ये है कि ऐसी गंभीर घटना पर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं हुई। ऐसी घटनाओं को छोटा-मोटा विवाद मानकर उपेक्षित करने का ही परिणाम है कि महिलाओं की इज्ज़त करने का आम चलन समाज में बन ही नहीं पा रहा है।
दूसरी घटना नोएडा के एक संभ्रांत माने जाने वाले रिहायशी इलाके से है। भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी ने एक महिला के साथ पार्क में कब्जा करने के आरोप पर न केवल अभद्रता की, बल्कि उसे धक्का दिया, महिला के पति की जाति का उल्लेख कर उसे अपशब्द कहे।
इस विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर है, जिसमें साफ़ नज़र आ रहा है कि श्रीकांत त्यागी ने किस तरह सत्ता की हनक दिखाते हुए एक महिला के साथ ग़लत व्यवहार किया। श्रीकांत त्यागी पर आरोप है कि उसने सोसायटी के पार्क पर अवैध कब्जा किया है। इस वजह से दूसरे लोगों को तकलीफ़ हो रही थी, लेकिन वह कब्जा हटाने तैयार नहीं था, जिस पर उसका महिला के साथ विवाद हुआ।
इस वीडियो में व्यथित करने वाली बात ये है कि जब उस महिला के साथ भाजपा नेता ने बदतमीजी की, उसे हाथ लगाने की गुस्ताखी की, तो उस वक्त बहुत से लोग तमाशबीन बने हुए थे। ये प्रवृत्ति समाज की संकुचित मानसिकता को दिखाती है कि जब तक हमारी घर की महिलाओं के साथ गलत व्यवहार न हो, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस मामले की शिकायत तो दर्ज कर ली गई है, लेकिन अकेली महिला के सामने धौंस दिखाने वाला भाजपा नेता, अब फ़रार है।
तीसरी घटना बरेली से है, यहां के ख्वाजा कुतुब इलाके में रहने वाली एक महिला ने नाली बंद होने पर उसे अपनी सुविधा के लिए खुदवाया तो इस बात पर उसका भाजपा नेता जितेंद्र रस्तोगी से विवाद हो गया। महिला ने आरोप लगाया है कि इस विवाद में जितेंद्र रस्तोगी ने उसके और उसकी बेटी के साथ मारपीट की। आईपीसी की धारा 307 के तहत जितेंद्र रस्तोगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, हालांकि उनका कहना है कि उन्होंने कोई मारपीट नहीं की।
चौथी घटना सामने आई है अमेरिका के न्यूयार्क शहर से, जहां उत्तरप्रदेश के बिजनौर की रहने वाली मनदीप कौर ने अपने पति की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले मनदीप ने एक वीडियो भी बनाया है, जिसमें वो रोते हुए कह रही हैं कि ‘आठ साल हो गए हैं, अब मैं रोज मार-पीट नहीं सह सकती।’ मनदीप की छह और चार साल की दो बेटियां हैं और आरोप है कि उनका पति बेटियों को जन्म देने के कारण उन्हें प्रताड़ित करता था।
मनदीप ने वीडियो में अपने पति और ससुराल वालों पर आत्महत्या करने के लिए मजबूर होने का आरोप लगाया है। मनदीप के मायके वालों का कहना है कि शादी के बाद से ही उन पर अत्याचार हो रहा था। उनके पिता के मुताबिक बेटे की चाहत में उसका पति कई सालों उसे प्रताड़ित कर रहा था। लेकिन उसने कहा कि वह उसे नहीं छोड़ेगी क्योंकि वह अपनी दो बेटियों की परवरिश नहीं कर सकती। अब मनदीप के पिता ने उनके ससुराल वालों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है और वो चाहते हैं कि उनकी दोनों नातिनें उनके पास भारत में रहें, ताकि वे सुरक्षित रहें।
अपनी बेटी की संतानों की चिंता होना स्वाभाविक है। लेकिन अगर उन्होंने मनदीप को इस प्रताड़ना के खिलाफ आवाज़ उठाने की, अपने पति को त्याग कर बच्चों की परवरिश खुद करने की हिम्मत दी होती, तो आज दो मासूम बच्चियों के सिर से मां का हाथ नहीं हटता। मनदीप के पति और उसके परिजनों को तो कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए, लेकिन इसमें सबक उन तमाम बेटियों के मां-बाप को भी मिलना चाहिए जो समाज में झूठी इज्ज़त की ख़ातिर अपनी लड़कियों को अत्याचार सहने देते हैं।
अभी मई महीने में राजस्थान में ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर तीन बहनों ने दो बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली थी। तब भी समाज में बेटियों की हैसियत और उनके भविष्य पर चिंता जतलाई गई थी। दुःख की बात है कि इतनी जल्दी ऐसे ही किसी मुद्दे पर लिखने की नौबत फिर आ गई।