जुलाई 2016 में जब गुजरात के ऊना में सात लोगों को एक गाड़ी से बांध दिया गया और फिर गोरक्षकों ने उन्हें बुरी तरह पीटा, उस समय तो पीड़ितों और उनके परिजनों से मिलने के लिए मोटा समाधियाला गांव और अस्पताल में राजनेताओं का तांता लग गया था.
गुजरात विधानसभा के चुनाव होने में सिर्फ 17 महीने बाकी थे. सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी गांव पहुंचे और फिर आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल. बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती बाद में अहमदाबाद के एक अस्पताल जाकर पीड़ितों से मिलीं. तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने इसे ‘संगठित अपराध’ करार दिया. वहीं केजरीवाल बोले—’हां, हम राजनीति कर रहे हैं लेकिन सिर्फ न्याय पाने के लिए.’
अब बात अक्टूबर 2022 की. गुजरात के उंधेला गांव में एक गरबा आयोजन के दौरान कथित तौर पर पत्थरबाजी को लेकर 10 लोगों को सादे कपड़े पहने पुलिसकर्मियों ने खुलेआम जमकर पीटा. घटना की वीडियो क्लिप उसी तरह वायरल हुईं जैसे ऊना की घटना के समय हुई थीं. घटना को छह दिन बीत चुके हैं. किसी राजनेता ने उधर का रुख नहीं किया है. गांव का दौरा करने की तो बात छोड़िए, राहुल गांधी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया देना तक उचित नहीं समझा.
केजरीवाल शनिवार को आदिवासियों को संबोधित करने के लिए करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित दाहोद जाते समय रास्ते में अहमदाबाद में उतरे. उन्होंने सभी गुजरातियों को अयोध्या के राम मंदिर की ‘मुफ्त यात्रा’ कराने का वादा किया.
ऐसा लगा कि आप संयोजक उंधेला में मुस्लिमों को पीटे जाने की घटना से अनजान थे. उंधेला अहमदाबाद से लगभग 45 किमी दूर है. ममता बनर्जी ने भी चुप्पी साध रखी है. हालांकि, उनकी पार्टी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में शिकायत दर्ज कराई है. गुजरात में अगले 2 महीनों में चुनाव होने वाले हैं.
तो, आखिर ऊना और उंधेला की घटनाओं पर हमारे राजनेताओं की प्रतिक्रियाओं में अंतर क्यों है? सीधी बात है. ऊना में पीड़ित दलित थे, जबकि उंधेला में पिटने वाले मुसलमान.
लखीमपुर खीरी सामूहिक बलात्कार कांड याद है जिसमें दो दलित लड़कियां एक पेड़ से लटकी मिली थीं? विपक्षी नेताओं ने ट्वीट कर संवेदनाएं जताने की झड़ी लगा दी. और महिलाओं की रक्षा करने में योगी आदित्यनाथ सरकार की नाकामी और उत्तर प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर आलोचना भी की. अब इसकी तुलना दो साल पहले हाथरस में सामूहिक बलात्कार की घटना पर उनकी प्रतिक्रिया से करें.
रेप पीड़िता दलित की मौत के बाद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, जयंत चौधरी, टीएमसी के सांसद, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सभी हाथरस पहुंचने लगे थे. उस मामले में आरोपी ‘उच्च जाति’ के हिंदू थे; जबकि लखीमपुर खीरी में आरोपी मुसलमान हैं.
लेखक: डीके सिंह
आभार: द प्रिंट












